4 सीटों पर वोटिंग कल, कौन करेगा खेल और कौन होगा फेल?
कुशवाहा-वैश्य वोटरों पर नजर. प्रशांत कुमार की होगी अग्नि परीक्षा, अगले चुनाव की तस्वीर होगी साफ़
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधान सभा की चार सीटों के लिए हो रहे उप चुनाव से न तो किसी की सरकार गिरनेवाली है और ना ही किसी की सरकार बननेवाली है. लेकिन इस चुनाव के नतीजे से अगले साल होनेवाले विधान सभा चुनाव के रिजल्ट का संकेत जरुर मिल जाएगा. सत्तारूढ़ दल की हार होगी तो विपक्ष कहेगा कि यह सरकार की विदाई का संकेत है.बेलागंज, तरारी, ईमामगंज और रामगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव के परिणाम का असर अगले साल होनेवाले विधान सभा पर जरुर पड़ेगा.इस चुनाव के रिजल्ट से ये भी पता चलेगा कि महागठबंधन और nda का वोट बैंक कितना गोलबंद है या फिर समय के साथ जातीय समीकरण कितना बदल गया है.
आरा लोकसभा क्षेत्र के तरारी, विक्रमगंज के रामगढ़, औरंगाबाद के ईमामगंज और गया लोकसभा क्षेत्र के बेलागंज विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं. गया को छोड़कर सभी तीन लोकसभा सीटों पर एनडीए की हार हो गई थी, जबकि इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन के लोकसभा उम्मीदवारों को बढ़त मिली थी.लोकसभा की तीन सीटों पर एनडीए की हार का कारण यह बताया गया कि उसके परम्परागत वोटर कुशवाहा और वैश्य बिदककर महागठबंधन के पक्ष में खड़े हो गए थे. महागठबंधन परिणाम से उत्साहित हुआ कि उसे नया वोट बैंक मिल गया. दक्षिण बिहार और शाहाबाद की हार ने एनडीए को चिंतित भी किया, इसलिए विस उपचुनाव में एनडीए ने कुशवाहा और वैश्य वोटरों पर पूरा ध्यान दिया.परिणाम यही बताएगा कि अपने बिदके वोटरों को मनाने में एनडीए सफल हुआ या नहीं। यह भी कि लोकसभा चुनाव के समय कुशवाहा और वैश्य वोटरों का महागठबंधन से जुड़ाव तत्कालिक था या विस उपचुनाव के साथ आगे भी बना रहेगा। राजनीति में परिवारवाद के बढ़ते चलन पर भी यह परिणाम जनता की राय प्रकट करेगा.
सभी चारों क्षेत्रों में परिवारवाद का प्रतिनिधित्व करने वाले उम्मीदवार खड़े हैं. बेलागंज में सांसद सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह (राजद), गया में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी (हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा), रामगढ़ में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के पुत्र अजित सिंह (राजद) एवं तरारी में पूर्व विधायक सुनील पांडेय के पुत्र विशाल प्रशांत (भाजपा)। बेलागंज की जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी भी परिवार परम्परा का ही प्रतिनिधित्व करती हैं.परीक्षा में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) भी शामिल है.वह सभी सीटों पर लड़ रही है. उपचुनाव का परिणाम बताएगा कि दूसरों की जीत की रणनीति बनाने और स्वयं किसी राजनीतिक दल का नेतृत्व करने में क्या फर्क होता है.
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