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नीतीश कुमार के निशाने पर लालू यादव के करीबी मंत्री.

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सिटी पोस्ट लाइव : लालू यादव के करीबी मंत्रियों की नकेल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कास दी है.राजस्व विभाग के अधिकारियों के तबादले को मुख्यमंत्री के द्वारा रद्द कर दिये जाने को लेकर सियासत शुरू हो गई है.दरअसल, लालू यादव के वहीं मंत्री नीतीश कुमार के निशाने पर हैं जो बयानवीर हैं हमेशा बयान देते रहते हैं.सबसे पहले निशाने पर सुधाकर सिंह आये.उन्हें कृषि मंत्री की कुर्सी गवानी पडी. फिर दुसरे मंत्री चंद्रशेखर यादव निशाने पर आये.ये भी हमेशा अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए थे.

नीतीश कुमार ने उनके विभाग में कड़क आईएएस अधिकारी केके पाठक को तैनात कर उनकी नकेल कास दी.कहने के लिए शिक्षा मंत्री हैं लेकिन शिक्षा विभाग में उनकी बिलकुल नहीं चल रही.पिछले तीन सप्ताह से वो शिक्षा विभाग के कार्यालय ही नहीं गये हैं.सार्वजनिक कार्यक्रमों में वो भाग ले रहे हैं लेकिन अपने विभागीय दफ्तर से गायब हैं.उम्मीद है कि उनकी कुर्सी भी खतरे में है. आलोक मेहता भी विवादित बयान दे चुके हैं.उन्होंने ब्राहमणों को अंग्रेजों का गुलाम बता दिया था.मुख्यमंत्री ने उनके द्वारा किये गये विभागीत तबादले पर रोक लगाकर उन्हें औकात में ला दिया है.मेहता बिहार सरकार के राजस्व मंत्री हैं और उनके विभाग ने हाल ही में 480 अंचलाधिकारियों का तबादला किया था.


2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही नीतीश कुमार सहयोगी दल के कई नेताओं को किनारे कर चुके हैं. 2008 में बीजेपी कोटे से स्वास्थ्य मंत्री रहे चंद्रमोहन राय कैबिनेट फेरबदल में अचानक हटा दिए गए थे. हालांकि, 2010 में उन्हें फिर से कैबिनेट में लिया गया, लेकिन कद में कटौती कर दी गई. 2010 में तो बीजेपी कोटे के कई मंत्रियों पर एक साथ गाज गिर गई और नए कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिली. इनमें अवधेश प्रसाद सिंह और रामचंद्र सहनी जैसे बड़े नाम शामिल थे. नीतीश से पटरी नहीं बैठने की वजह से 2010 में राधामोहन सिंह केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो गए.मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही नीतीश अपने इर्द-गिर्द उन्हीं नेताओं को रखते हैं, जो सियासी तौर पर बोलने में ज्यादा विश्वास नहीं रखता हो.  इनमें विजय चौधरी, संजय झा और बिजेंद्र यादव के नाम प्रमुख हैं.

 


बिहार के सियासी गलियारों में नीतीश कुमार पॉलिटिकिल मैसेज के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. आरजेडी खासकर लालू यादव के करीबियों पर हो रही कार्रवाई को भी राजनीतिक जानकार पॉलिटिक्ल मैसेज से ही जोड़कर देख रहे हैं. दरअसल, बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बीजेपी लालू द्वारा सरकार चलाए जाने का आरोप लगा रही थी. लालू यादव पार्टी के भी कई नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांग लगातार कर रहे थे. उपेंद्र कुशवाहा भी नीतीश पर लालू के आगे सरेंडर करने का आरोप लगा चुके हैं. ऐसे में इन कार्रवाई के पीछे इसे एक बड़ी वजह माना जा रहा है.

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