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पूर्वी चंपारण: बिहार सरकार के भूमि अधिग्रहण के प्रयासों के खिलाफ अब विरोध का सिलसिला तेज हो गया है। भूमि सर्वे के साथ-साथ बिहार सरकार ने अपनी अतिक्रमित भूमि की पहचान के लिए कदम उठाए हैं, वहीं बेतिया राज की जमीन को सरकार अधिग्रहित करने के लिए विधानसभा में नया कानून भी पेश किया है। लेकिन इस कदम को लेकर अब पूर्वी चंपारण के किसान उग्र हो गए हैं।
आज पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया में ‘चंपारण किसान मजदूर संघर्ष समिति’ ने प्रखंड मुख्यालय पर विशाल धरना आयोजित किया। इस धरने में बड़ी संख्या में किसान पहुंचे और एकजुट होकर बेतिया राज की जमीन किसी भी हालत में सरकार को नहीं देने की अपनी आवाज बुलंद की। किसानों ने बिहार सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ विरोध जताया और मांग की कि बेतिया राज की जमीन की खरीद-फरोख्त पर लगी रोक को तुरंत हटाया जाए।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा ने आंदोलन का नेतृत्व करते हुए कहा कि जब तक सरकार अपना आदेश वापस नहीं लेती, तब तक किसानों का यह संघर्ष चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा। किसान मजदूर की आवाज़ में गुस्सा था, और उनका एक ही संदेश था – “बेतिया राज की जमीन को किसी भी हाल में सरकार को नहीं देंगे।” यह आंदोलन न सिर्फ किसानों के हक की लड़ाई है, बल्कि बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ एक बड़ा जनविरोध बनकर उभरा है।