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उपचुनाव में परिवारवाद, कहीं बेटा तो कहीं बहू मैदान में.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में चार विधान सभा सीटों के लिए उप-चुनाव हो रहा है.इस चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा छाया हुआ है.प्रशांत किशोर जोरशोर से इसे उठा रहे हैं.आरजेडी-जेडीयू और  हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा तीनों दलों ने अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिया है. इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष है.बेलागंज में आरजेडी  के सुरेंद्र यादव के बाद उनके बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह चुनाव लड़ रहे हैं.रामगढ़ में आरजेडी  के जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह उम्मीदवार हैं.राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा देने में एनडीए और महागठबंधन दोंन में से कोई पीछे नहीं है.प्रशांत किशोर अपनी हर सभा में परिवारवाद को लेकर सवाल उठा रहे हैं लेकिन  चुनाव प्रचार में जुटे दोनों गठबंधनों के नेता परिवारवाद पर चुप्पी साधे हुए हैं. पिता के बाद पुत्र, बहू या पत्नी की उम्मीदवारी से दोनों गठबंधन के कार्यकर्ताओं में विक्षोभ है, प्रतिद्वंद्वी जिसे उभारने का प्रयास कर रहे हैं. उपचुनाव में परिवारवाद पर राजनीतिक दलों की चालबाजी जनता को भी रास नहीं आ रही है.रामगढ़ और बेलागंज में आरजेडी की मुश्किल बढ़ी हुई है.इमामगंज में माफ़ी की नाव चुनावी मझदार में फंस गई है.

बेलागंज में 1990 से 2024 तक एक छोटी अवधि (1998-2000) को छोड़ कर आरजेडी के सुरेंद्र यादव आरजेडी  के विधायक रहे. इस साल उनके सांसद बनने के बाद पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह आरजेडी के उम्मीदवार हैं.आरजेडी  में टिकट के दावेदार इस बात को लेकर नाराज हैं कि अगर इसबार विश्वनाथ चुनाव जीतते हैं तो अगले कई वर्षों तक किसी नए को अवसर नहीं मिलेगा.रामगढ़ में आरजेडी  के जगदानंद सिंह के पुत्र अजित सिंह उम्मीदवार हैं. जगदानंद सिंह 2009 में सांसद बने तो उन्होंने आरजेडी  के एक कार्यकर्ता अंबिका यादव को अवसर दिया. अंबिका चुनाव जीते.2015 में हारे तो 2020 के विस चुनाव में उन्हें अवसर नहीं मिला. जगदानंद के बड़े पुत्र सुधाकर सिंह विधायक बने.अब वह सांसद हैं, उप चुनाव हो रहा है तो इसमें उनके छोटे भाई अजित सिंह को उम्मीदवार बनाया गया.जाहिर है यहाँ भी आरजेडी के वैसे नेता -कार्यकर्त्ता नाराज हैं जो टिकेट के दावेदार थे.उनका कहना है कि ऐसे तो उन्हें कभी मौका ही नहीं मिलेगा.एक ही परिवार यहाँ हमेशा चुनाव लड़ता रहेगा.खासतौर पर यादव नाराज हैं और इसबार बीएसपी की तरफ उम्मीद से देख रहे हैं.

इमामगंज में जीतनराम मांझी की दो बार जीत हुई. वह गया के सांसद हैं. उनकी बहू दीपा मांझी उप चुनाव में हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की उम्मीदवार हैं.लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा में इस समय मोर्चा के पांच सदस्य हैं. मांझी सांसद हैं. पुत्र संतोष सुमन विधान पार्षद हैं. समधन ज्योति देवी विधायक हैं.दीपा मांझी चुनाव जीतती हैं तो संसद-विधानसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या छह हो जाएगी, जिनमें चार मांझी के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार होंगे.इसी वजह से ईमामगंज में भी मांझी को कार्यकर्ताओं की महात्वाकांक्षा से जूझना पड़ रहा है.तरारी और पूर्ववर्ती पीरो विस क्षेत्र में 2000 से 2020 तक छह चुनाव हुए. चार बार नरेंद्र कुमार पांडेय ऊर्फ सुनील पांडेय चुनाव जीते. एक बार दूसरे नम्बर पर रहे. एक बार उनकी पत्नी गीता पांडेय दूसरे नम्बर पर रहीं.अभी उनके पुत्र विशाल प्रशांत भाजपा उम्मीदवार हैं. बीजेपी  ही नहीं, जेडीयू  के कार्यकर्ता भी विशाल की जीत में अपनी हार देख रहे हैं.जेडीयू के नेता संजय शर्मा ने तो निर्दलीय परचा भी भर दिया था.लेकिन बीजेपी ने उन्हें मन लिया. यहाँ सीधी लड़ाई बीजेपी-माले के बीच है इसका लाभ बीजेपी को मिल रहा है .

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