सिटी पोस्ट लाइव : बहुत जल्द रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के दिन बहुरनेवाले हैं.अगले महीने के पहले सप्ताह में मोदी कैबिनेट के विस्तार में चिराग पासवान को जगह मिल सकती है. 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ ही मंत्रियों के विभागों में फेरबदल की अटकल फिर लगने लगी है. 2023 में पांचवां अवसर होगा जब मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलबाजी आरम्भ हुई है. अबकि बार बताया जा रहा है कि जुलाई के पहले सप्ताह में सरकार एवं भाजपा संगठन दोनों को चुनावी तैयारी के हिसाब से मोदी दुरुस्त करने जा रहे हैं. इससे पहले जनवरी, संसद के बजट सत्र के पश्चात्, जून में और अमेरिका दौरे से पहले मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें चार बार लग चुकी हैं.
रामविलास पासवान के निधन के पश्चात् चिराग पासवान के पास केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर जब आने वाला था तभी चाचा पशुपति कुमार पारस ने पार्टी तोड़कर स्वयं मंत्री बन गये. पारस के हाथों लोजपा के 6 में पांच सांसद गंवा चुके चिराग अकेले हैं. नरेंद्र मोदी को राम और स्वयं को हनुमान बताने वाले चिराग पासवान की NDA में वापसी तय है बस सही मुहुर्त की प्रतीक्षा है. सबको लगने लगा है कि लोजपा के 5 सांसद तोड़कर भले पशुपति पारस मंत्री बनने में सफल रहे किन्तु उनके पास अब समय कम है. भाजपा एवं चिराग की दोस्ती के बीच में आने पर पशुपति पारस की राजनीति निपटने का भी खतरा है.पारस के सभी सांसद पिछले एक महीने से चिराग पासवान के आगे पीछे घूम रहे हैं.
बिहार में रामविलास पासवान के वोटर की नजर में चिराग पासवान ही उनके तमाम अर्थों में वारिस हैं. पारस का यह दावा जमीन पर मतदाताओं के बीच बहुत वजनदार नहीं है कि चिराग रामविलास की संपत्ति के वारिस हैं जबकि वो राजनीति के उत्तराधिकारी हैं. ये बात बीजेपी को पता है कि पासवान एवं दलितों का वोट चिराग ही दिला सकते हैं, पारस नहीं. देखने वाली बात बस ये होगी कि मोदी यदि मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हैं तो पारस को पैदल करते हैं या चाचा के साथ-साथ भतीजा को भी मंत्री बनाते हैं.सूत्रों के अनुसार पारस को राज्यपाल बनाया जा सकता है.
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