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चिराग को कण्ट्रोल करने में जुट गई है BJP, क्या है माजरा?

'हनुमान' के दर्द को क्यों कुरेद रही BJP? लाल गुलाब के बीच पीले फूल का राज समझिए

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सिटी पोस्ट लाइव :  पीएम मोदी के कथित ‘हनुमान’ चिराग पासवान को एकबार फिर से पार्टी तोड़ देने का डर सता रहा है. चाचा पशुपति पारस से बीजेपी नेताओं की हो रही मुलाक़ात ने चिराग पासवान की चिंता बढ़ा दी है. पहले पटना में पशुपति पारस की बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से मुलाकात हुई. इसके बाद अमित शाह से मिलने दिल्ली में अपने दूसरे वाले भतीजे को लेकर पशुपति पारस अमित शाह से मिलने पहुँच गये. राजनीति में ऐसे मेल-मिलापों के बड़े मायने होते हैं. चिराग पासवान कम से कम इतना तो समझते ही होंगे कि जिसने उनको एक समय पैदल कर दिया था. अब वो सत्ता के ‘कंधे’ पर सवार होते दिख रहा है. लिहाजा, चिराग की बेचैनी बढ़ी हुई दिख रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव में पांव जमाने के लिए चाचा-भतीजा दोनों को मोदी और नीतीश की जरूरत है. पासवान परिवार में सियासी जंग अब शह-मात में बदलती दिख रही है. शह-मात का ये ‘खेल’ एक तरफा न हो, इसके लिए बड़ी पार्टियां बैलेंस बना रही हैं. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक बार फिर से बनने के बाद चिराग पासवान ने एक भावुक लेटर सोशल मीडिया पर शेयर किया है.चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि ‘एक बार पुनः आप सभी ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जो जिम्मेदारी मुझे सौंपी है, मैं विश्वास दिलाता हूं कि आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा.

आगे वो लिखते हैं -आप सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के विश्वास की डोर कभी टूटने नहीं दूंगा. आप सभी ने मुझपर विश्वास जताया, इसके लिए हृदय से आप सभी का धन्यवाद और आभार प्रकट करता हूं. बीते कुछ वर्षों में आपलोगों के साथ, सहयोग और समर्पण की वजह से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने राष्ट्रीय स्तर पर एक नया कीर्तिमान रचा है. चिराग पासवान ने लिखा कि ‘100% स्ट्राइक रेट के साथ सभी पांच सीटें हाजीपुर, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई में हमलोगों ने प्रचंड जीत हासिल की. अभी विधानसभा चुनाव सामने है, और जिस तरीके से हमलोगों ने लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल की, उसी प्रकार विधानसभा चुनाव में भी सभी सीटें जीतकर एकबार फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बनाना हमारा लक्ष्य है.

इसी चिट्ठी में चिराग ने 2021 को भी याद किया है, जिसमें कहा, ‘मुझे अब भी 2021 का वह दिन याद है, जब संघर्षों के दौर से गुजर रहा था. मेरी पार्टी तोड़ दी गई, मुझे सभी पदों से हटा दिया गया. मेरी राजनीतिक पारी पर विराम लगाने की कोशिश की गई. लेकिन, यह आपलोगों का स्नेह, समर्थन और विश्वास ही था कि आपलोगों ने मुझे ना टूटने दिया और ना ही झुकने दिया.आपलोगों ने समर्पण भाव से मेहनत की और आज परिणाम सबके सामने है.

दरअसल, हाल के दिनों में चिराग पासवान ने अपने चार बयानों से केंद्र की मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी.दलित वर्ग की जातियों में उपवर्गीकरण की अनुमति वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिराग ने आपत्ति जताई. केंद्रीय सचिवालय में कुछ पदों को लेटरल एंट्री से भरने का चिराग पासवान ने विरोध किया. वक्फ संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने को लेकर बयानबाजी के साथ साथ देशभर में जातीय जनगणना की मांग को लेकर चिराग पासवान ने मीडिया में बयान दिया. इस बीच बीजेपी ने उनके चाचा पशुपति पारस से मेलजोल बढाकर ये संदेश देने की कोशिश की है कि चिराग पासवान अगर बीजेपी को असहज करने की कोशिश करेंगे तो उन्हें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है चिराग के चाचा और चचेरे भाई ने हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी चिराग के हर कदम का जवाब देने के लिए तैयार है. चिराग के पांच सांसदों के साथ अलग रुख अपनाने की खबरों के बीच बीजेपी की ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

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