दिल्ली विधानसभा चुनाव में UP-बिहार के 13 कैंडिडेट्स,पूर्वांचली वोटर हैं निर्णायक.

City Post Live

, 70 में से 20 सीटों पर गेमचेंजर

सिटी पोस्ट लाइव : दिल्ली विधान सभा चुनाव के प्रचार का आज आखिरी दिन है.दिल्ली चुनाव में  पूर्वांचली वोटरों  ने सभी दलों की चिंता बढ़ा दी है. दिल्ली में UP-बिहार से ताल्लुकात रखने वाले करीब 20 फीसदी वोटर हैं. विधानसभा की 70 में से 20 सीटों पर ये जीत-हार तय करते हैं. यही कारण है कि हाल के दिनों में राजधानी में बिहारी नेताओं का ज्यादा तरजीह दी गई है. 12 प्रत्याशी UP-बिहार के हैं.

बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले संजीव झा आम आदमी पार्टी के साथ शुरुआती दिनों से जुड़े हैं.वो गाँव से  IAS बनने का सपना लेकर दिल्ली गए थे. लगभग 4-5 साल तक वहां तैयारी भी की. इसी बीच दिल्ली में अन्ना आंदोलन शुरू हो गया. उन्होंने इसमें एक्टिव वॉलंटियर की भूमिका निभाई.झा दिल्ली के बुराड़ी सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं. 2013 के चुनाव में संजीव को AAP ने बुराड़ी सीट से प्रत्याशी बनाया था. संजीव ने इस चुनाव में बीजेपी के श्री किशन को पटखनी दी थी.वह 2015 और 2020 के चुनाव में भी बुराड़ी सीट से जीत कर सदन पहुंचे. संजीव झा आम आदमी पार्टी के बिहार प्रभारी भी हैं.

अरविन्द केजरीवाल की कोर टीम के सिपाही गिने जाने वाले सोमनाथ भारती मूल रूप बिहार ले नवादा के रहने वाले हैं. अन्ना आंदोलन के दौरान अरविन्द केजरीवाल से जुड़े, तब से उनके साथ बने हुए हैं.सोमनाथ को AAP ने मालवीय नगर सीट से उम्मीदवार बनाया है. भारती इस सीट से लगातार 3 बार से जीत दर्ज कर रहे हैं. केजरीवाल का करीबी होने का इनाम इन्हें दिल्ली सरकार में मंत्री पद के रूप में मिल चुका है. ये दिल्ली के कानून मंत्री रह चुके हैं.2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें AAP ने नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया था, जहां वे काफी क्लोज मुकाबले में चुनाव हार गए.

दिल्ली के द्वारका विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनय मिश्रा मूल रूप से बिहार के मधुबनी के बासोपट्टी सीरियापुर गांव के रहने वाले हैं. इनके पिता मिलिट्री में थे और काफी पहले गांव छोड़कर दिल्ली में बस गए थे. मिलिट्री से रिटायरमेंट के बाद विनय के पिता राजनीति में जुड़ गए थे. वे दिल्ली में कांग्रेस की राजनीति करते थे. कांग्रेस की टिकट पर दिल्ली से दो बार के विधायक और एक बार के सांसद भी बने.अरविंद केजरीवाल की राजनीति से प्रभावित होकर विनय मिश्रा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. 2020 में उन्हें द्वारका से टिकट मिला और वह जितने में सफल रहे. एक बार फिर से पार्टी ने उन्हें द्वारका से अपना कैंडिडेट बनाया है.

दिल्ली में पूर्वांचल (बिहार-UP) से आए लोगों की तादाद बढ़ी है. ये कई सीटों के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करते हैं. खासकर बाहरी दिल्ली के इलाकों में बड़ी तादाद में पूर्वांचली रहते हैं. ‘हालिया कुछ वर्षों में पूर्वांचल के लोगों की राजनीतिक ताकत भी बढ़ी है और राजनीति में उनकी संख्या भी बढ़ी है. इससे दिल्ली की सियासत में पंजाबी वोटरों का वर्चस्व कम हुआ है. मौजूदा समय में पूर्वांचली यहां डॉमिनेट कर रहे हैं.पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि पूर्वांचली तीनों पार्टियों के साथ हैं. इसका एक सबसे बड़ा कारण है कि ये जाति के हिसाब से वोट करते हैं. पंजाबियों को रिझाना इसलिए टफ है कि पंजाबी वोटर्स अपने राज्य के हिसाब से वोट करते हैं. पंजाब में जिस पार्टी का वर्चस्व रहेगा दिल्ली के पंजाबी वोटर्स भी उन्हें ही वोट करेंगे.

‘एक जमाने में पूर्वांचली कांग्रेस के साथ मजबूती से लामबंद थे। तब लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच थी. अब इसके उलट हो गया है. AAP के उभार से कांग्रेस हाशिए पर चली गई है. हिंदू अपर कास्ट पहले कांग्रेस के साथ थे वो अब बीजेपी के साथ है. खास कर भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ और राजपूत इस बार बीजेपी के साथ मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे हैं. जबकि, पूर्वांचली मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी AAP में शिफ्ट हो गई है.90 के दशक के बाद ये ट्रेंड रहा है कि दिल्ली में पूर्वांचली वोटर जिनके साथ रहे हैं, राज्य में उनकी सरकार बनी है. पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए ही 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को आगे किया था. कांग्रेस को इसका फायदा मिला और 15 साल तक दिल्ली में दीक्षित का शासन रहा.

2013 में दिल्ली के पूर्वांचली वोटर AAP की तरफ मूव कर गए. इन्होंने एकतरफा आम आदमी पार्टी को वोट किया. नतीजा 2015 और 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की. अरविंद केजरीवाल ने इनकी ताकत को समझते हुए पूर्वांचल से संबंधित गोपाल राय, सोमनाथ भारती जैसे नेताओं को मंत्री बनाया. संजय सिंह को राज्यसभा भेजा.इस बार भी पार्टी ने बुरारी से संजीव झा, किरारी से अनिल झा, द्वारका से विनय मिश्रा, मालवीय नगर से सोमनाथ भारती, संगम विहार से चंदन कुमार, बाबरपुर से गोपाल राय और पटपड़गंज से अवध ओझा को कैंडिडेट बनाया है. ये सभी पूर्वांचली हैं.

पूर्वांचली वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी पिछले तीन चुनाव से लगातार अलग-अलग प्रयोग कर रही है, लेकिन अभी तक पूरी तरह कामयाब नहीं हो पा रही है. पार्टी ने बिहार से ताल्लुक रखने वाले मनोज तिवारी को न केवल दिल्ली से सांसद बनाया बल्कि उन्हें दिल्ली भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया.बिहार की रिजनल पार्टी जदयू और लोजपा के साथ गठबंधन कर उनके कैंडिडेट को सपोर्ट किया, लेकिन पार्टी की रणनीति हर बार फेल रही है. पिछली बार की 11 सीटों की जगह पार्टी ने 5 सीटों पर पूर्वांचली कैंडिडेट को उतारा है.

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