63 लाख बच्चियों को वैक्सीन का इंतजार.
केंद्र के आश्वासन के बाद भी बिहार नहीं आया सर्वाइकल कैंसर से बचाव का टीका .
सिटी पोस्ट लाइव : सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए नौ से 14 साल की बच्चियों को एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) वैक्सीन की जरूरत है. बच्चेदानी के मुंह के इस कैंसर से बचाव के लिए राज्य की 63 लाख 40 हजार 483 बच्चियों को केंद्र से टीका मिलने का इंतजार है. 17 दिसंबर 2022 को ही केंद्र से टीका मिलने का आश्वासन मिला था, लेकिन अभी तक नहीं आया है.निजी अस्पतालों में टीका मूल्य अधिक होने और जागरूकता की कमी के कारण अब तक मात्र 2% बच्चियों ने ही टीका लिया है. 14 साल से कम उम्र की बच्चियों को दो डोज लेने में लगभग छह हजार और इससे अधिक उम्र की बच्चियों को तीन डोज लेने में लगभग नौ हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं.
डब्लूएचओ के अनुसार यदि 90% बच्चियों को टीका लग जाए, 70 फीसदी महिलाओं (35 से 45 वर्ष)की स्क्रीनिंग हो जाए और 90% महिलाएं समय से इलाज करा लें तभी सटीक उन्मूलन संभव है. इस कैंसर को 2030 तक उन्मूलन करने की प्रक्रिया चल रही है.जागरूकता के अभाव में 80 फीसदी मरीज काफी एडवांस स्टेज में आती है. वहीं 100 में 1-2% मरीज ही पहले चरण में इलाज के लिए पहुंचती हैं. यदि शुरू में ही मरीज इलाज के लिए पहुंच जाए तो सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.
वैक्सीन की एक डोज की कीमत 2800 रुपए से 3000 रुपए हैं। 15 साल से कम उम्र की किशोरियों को दो डोज और 15 साल अधिक उम्र के किशोरियों को तीन डोज लेने की जरूरत होती है.गांव में रहने वाली आर्थिक दृष्टि से कमजोर महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की अधिक संभावना रहती है. इनफेक्शन लगने के नौ से 10 साल के बाद इसके लक्षण उभरते हैं. समय पर इनफेक्सन निकल गया तो ठीक नहीं तो यदि थोड़ा भी इनफेक्शन रह गया तो 10 साल बाद सर्वाइकल कैंसर के रूप सामने आता है.
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