बिहारी यू-ट्यूबर मनीष कश्यप के उत्थान-पतन की कहानी.
यू-ट्यूबर मनीष कश्यप के समर्थकों का मानना है कि जलन और प्रतिशोध के शिकार हैं मनीष कश्यप.
सिटी पोस्ट लाइव :बिहार के यू-ट्यूबर मनीष कश्यप पर बिहार और तमिलनाडु में कई तरह के गंभीर मामले दर्ज हैं. तमिलनाडु पुलिस ने मनीष पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानि एनएसए के तहत भी मामला दर्ज किया है.त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ़ मनीष कश्यप बिहार में यू-ट्यूब और फ़ेसबुक पर काफ़ी चर्चित हैं. क़रीब 32 साल के मनीष कश्यप ने पुणे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उन्होंने कुछ साल नौकरी भी की थी.मनीष ने साल 2016-17 से स्थानीय समस्या के वीडियो सोशल मीडिया पर डालना शुरू किया था और इससे उसकी लोकप्रियता बढ़ती गई.इसी साल 18 मार्च को मनीष कश्यप को गिरफ़्तार किया गया था. वो पहले तमिलनाडु और अब बिहार में पटना की बेऊर जेल में बंद हैं.
पटना में कोर्ट ने जब यह फ़ैसला सुनाया तो मनीष कश्यप के समर्थकों ने इसे जीत के एक जश्न की तरह मनाया और कोर्ट परिसर में नारेबाज़ी भी की.मनीष कश्यप के वकील ने चेतावनी दी है कि समर्थकों ने अगर कोर्ट परिसर में नारेबाज़ी की तो मनीष को बिहार से बाहर भी भेजा जा सकता है.मनीष के एक समर्थक संदीप कुमार बारी का दावा है कि एक मामले की सुनवाई के दौरान बिहार के बेतिया के कोर्ट में 7 अगस्त को उनके हज़ारों समर्थक आए थे.
दरअसल मनीष कश्यप के समर्थकों में बड़ी संख्या में यू-ट्यूबर भी शामिल हैं.मनीष कश्यप ने साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में पश्चिमी चंपारण के चनपटिया सीट से चुनाव भी लड़ा, हालांकि इसमें उनकी हार हुई थी. चुनाव में भले ही वो हार गए लेकिन निर्दलीय होकर भी तीसरे नंबर पर थे.” लेकिन इस दौरान भी मनीष के समर्थकों में इज़ाफ़ा हुआ.
मनीष कश्यप अक्सर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते दिखते रहे हैं. ऐसे में एक ख़ास राजनीतिक विचारधारा के लोग भी मनीष के समर्थकों में शामिल हैं.अमित राय का आरोप है कि अभी बिहार में जिसकी सरकार है उनको मनीष से जलन होने लगी, क्योंकि वो बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे.मनीष कश्यप को अपनी बिरादरी के लड़कों का भी समर्थन हासिल है और बेरोज़गारी हर वर्ग में है इसलिए लोग उनके साथ चले जाते हैं.”तमिलनाडु से जुड़ी जिन ख़बरों को बीजेपी ने विधानसभा तक में उठाया और जो ग़लत साबित हुआ, उसपर मनीष कश्यप वीडियो बना रहे थे.मनीष कश्यप ने जिस तरह की ख़बरें अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर डाली थीं, वो इतनी गंभीर थीं कि सुप्रीम कोर्ट तक ने उन्हें राहत नहीं दी है.
इसी साल फ़रवरी महीने के अंतिम सप्ताह में सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा था कि तमिलनाडु के तिरुपुर और कोयंबटूर में बिहार के मज़दूरों के साथ हिंसा हो रही है, जिसमें कम से कम दो लोगों की हत्या का दावा भी किया गया था.हालांकि तमिलनाडु और बिहार पुलिस ने इन सभी ख़बरों को झूठ और भ्रामक बताया था. मनीष कश्यप पर भी ऐसी झूठी और भ्रामक ख़बरों को फैलाने का आरोप लगा. उसने अपने वीडियो में तमिलनाडु के डीजीपी तक के बयान को फ़र्जी बताया था.
मनीष के ख़िलाफ़ तमिलनाडु पुलिस ने छह और बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने चार मामले दर्ज किए थे. उसके बाद वो काफ़ी दिनों तक फ़रार रहे. उनपर एक गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने पटना में दो लोगों से घायल होने का झूठा वीडियो बनवाया.उसके बाद बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने उनके बैंक खातों को सील कर दिया. पुलिस के मुताबिक़ उनके बैंक खातों में 42 लाख से ज़्यादा रकम जमा थी. ये खाते अब तक सील हैं.बिहार पुलिस ने मनीष कश्यप के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी का वारंट जारी किया था और फिर एक मामले में कोर्ट ने उनके घर की कुर्की के आदेश दिए. इसके बाद ही मनीष ने 18 मार्च 2023 को आत्मसमर्पण किया था.
गिरफ़्तारी के बाद मनीष कश्यप से बिहार पुलिस ने पूछताछ की थी. बाद में तमिलनाडु में दर्ज मामलों की पूछताछ के लिए उन्हें तमिलनाडु ले जाया गया. उनके समर्थकों ने बिहार सरकार पर मनीष कश्यप को फंसाने के आरोप भी लगाए और इसके ख़िलाफ़ बिहार बंद की अपील भी की.उन्होंने बिहार पुलिस और बिहार सरकार, ख़ासकर उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तक को चुनौती दी थी.मनीष कश्यप पर साल 2016-17 में एक वीडियो में महात्मा गांधी के लिए अपशब्दों के इस्तेमाल का आरोप है.उन्होंने साल 2018 में बेतिया में एक चर्च में रखी किंग एडवर्ड की मूर्ति तोड़ दी और उसे पुलिस ने गिरफ़्तार भी किया था.
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