शारदा सिन्हा का बक्सर से था करीब का रिश्ता.
बक्सर में शिक्षक थे शारदा सिन्हा के पिता , लोक गायिका ने कहा था- यह मेरे लिए तीर्थ से भी बड़ा.
सिटी पोस्ट लाइव : स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के पार्थिव शरीर को दिल्ली से पटना एअरपोर्ट पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्वनी चौबे पहुंचे .दरअसल, बक्सर से शारदा सिन्हा का गहरा रिश्ता रहा है.उनके पिता यहीं पढ़ाते थे.शारदा सिन्हा बक्सर सबसे बड़ा तीर्थ स्थल था.अश्वनी चौबे ने कहा कि 13 अप्रैल 2022 को बक्सर में आयोजित अखिल भारतीय संत समागम में उनको आमंत्रित किया गया था.उन्होंने बक्सर से जुडी अपनी यादों को साझा करते हुए बताया कि उनके पिता बक्सर के रामरेखा घाट के पास स्थित हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे. उन्होंने भगवान श्री राम से जुड़े बक्सर के इतिहास का जिक्र करते हुए कई भक्ति गीत प्रस्तुत किए.अश्वनी चौबे ने कहा कि उन्होंने कहा कि उनका शायद बक्सर में यह आखिरी कार्यक्रम है.
शारदा सिन्हा ने बताया था कि उनके पिता बक्सर के रामरेखा घाट के पास स्थित हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे. उनकी मां भी तब बक्सर में रहा करती थीं. उनकी मां बक्सर में रहते हुए प्रतिदिन गंगा में स्नान करती थीं.उन्होंने भगवान श्री राम से जुड़े बक्सर के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा था कि अन्य लोगों के लिए यह जगह एक तीर्थ है लेकिन मेरे लिए यह तीर्थ से भी बड़ा है.कार्यक्रम के मंच से उन्होंने कई भक्ति गीत प्रस्तुत किए थे. जगदंबा घर में दियरा बार अइनी हो… गीत गुनगुनाते हुए उन्होंने कहा था कि चौथी पीढ़ी को ये पंक्तियां सुनने का मौका उन्हें मिल रहा है.उन्होंने प्रसिद्ध छठ गीत केलवा के पात पर उगेले सूरज मल…, लड्डू सबरी के भी खईलन, टुटली मड़ईया महल हो जाला…, मोहे रघुवर की सुध आई… जैसे एक के बाद एक कई भक्ति गीत सुनकर उन्होंने जनमानस को भाव -विभोर कर दिया था.
इस कार्यक्रम में उनके बहू और बेटा भी शामिल हुए थे. तब उनकी आवाज में जो जोर था, उसको सुनकर कहीं से इस बात का एहसास नहीं होता था कि इतनी बड़ी लोक गायिका इतनी जल्दी हम सभी के बीच से कहीं दूर चली जाने वाली हैं.स्व. शारदा सिन्हा से कलाकार, निर्देशक दीपश्रेष्ठ का मधुर संबंध रहा। दीपश्रेष्ठ बताते हैं छठ गीतों की शूटिंग के दौरान उनके पति साथ में रहते थे. 2001 में छठ गीत की शूटिंग गंगा घाट चौधरी टोला में हुआ था.विवाह गीत की शूटिंग लेडीज स्टीफेन हाल में की गई थी. शारदा सिन्हा को सिल्क की साड़ियां खूब पसंद थी.छठ गीत के शूटिंग के दौरान सिल्क की साड़ी पहन कर आई थीं. ऐसे में कैमरे से शूट करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था.बातचीत के बाद सूती साड़ी पहन कर शूट किया गया था.दीपश्रेष्ठ कहते हैं कि छठ गीतों की शूटिंग छठ आरंभ होने से एक दो माह पूर्व होता था.एक बार शूटिंग के दौरान गंगा नदी में डुबकी लगाने को लिए शारदा दीदी को कहा गया था तो उनके पति ने कहा था कि एक बार से ज्यादा डुबकी नहीं लगाएगी. कोई अनहोनी न हो इसके लिए गंगा घाट पर गोताखोर भी लगाए गए थे.
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