सिटी पोस्ट लाइव
इंदौर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा के मोर्चे पर भारत बहुत भाग्यशाली देश नहीं है। हमारी सेना उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है। इसलिए हम शांत, बेफिक्र होकर नहीं बैठ सकते। हमारे दुश्मन, चाहे अंदर हों या बाहर, वे हमेशा एक्टिव रहते हैं। हर परिस्थितियों में हमें उनकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी चाहिए। उनके खिलाफ सही समय पर बेहतर और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। आज भारत के लगातार विकसित होते समय में सीमांत प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करना समय की मांग है।
ऐसे में सैन्य प्रशिक्षण केंद्र हमारे सैनिकों को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार और सुसज्जित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मध्य प्रदेश के दो दिवसीय प्रवास के दूसरे दिन सोमवार को महू में आर्मी वॉर कॉलेज में अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने युद्ध के तरीकों में देखे जा रहे आमूलचूल परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सूचना युद्ध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित युद्ध, प्रॉक्सी युद्ध, इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और साइबर हमले जैसे अपरंपरागत तरीके आज के समय में एक बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेना को ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सुसज्जित रहना चाहिए। उन्होंने इन प्रयासों में महू के प्रशिक्षण केंद्रों के बहुमूल्य योगदान की सराहना की। उन्होंने बदलते समय के साथ अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में लगातार सुधार करने और कर्मियों को हर तरह की चुनौती के लिए तैयार को प्रयासों के लिए केंद्र की सराहना की। रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला और वर्तमान चरण को संक्रमण काल बताया। उन्होंने कहा कि भारत लगातार विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है और तेजी से एक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
सैन्य दृष्टिकोण से, हम आधुनिक हथियारों से लैस हो रहे हैं। हम दूसरे देशों को मेड-इन-इंडिया उपकरण भी निर्यात कर रहे हैं। हमारा रक्षा निर्यात, जो एक दशक पहले लगभग 2,000 करोड़ रुपये था, आज 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये का निर्यात लक्ष्य रखा है। रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और एकजुटता को मजबूत करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और विश्वास जताया कि आने वाले समय में सशस्त्र बल बेहतर और अधिक कुशल तरीके से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि महू छावनी में सभी विंग के अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
उन्होंने अधिकारियों से इन्फैंट्री स्कूल में हथियार प्रशिक्षण, मिलिट्री कॉलेज आॅफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) में एआई और संचार प्रौद्योगिकी और एडब्ल्यूसी में जूनियर और सीनियर कमांड जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण के माध्यम से एकीकरण को बढ़ावा देने की संभावना तलाशने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी भविष्य में रक्षा अताशे के रूप में काम करेंगे और उन्हें वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। जब आप रक्षा मंत्री का यह पद संभालेंगे, तो आपको सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण को आत्मसात करना चाहिए। आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकता है और विश्व मंच पर अधिक सम्मान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने भारत को दुनिया की सबसे मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्तियों में से एक बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि आर्थिक समृद्धि तभी संभव है जब सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाए। इसी तरह सुरक्षा व्यवस्था तभी मजबूत होगी, जब अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
2047 तक हम न केवल एक विकसित राष्ट्र बन जाएंगे, बल्कि हमारी सशस्त्र सेनाएं भी दुनिया की सबसे आधुनिक और सबसे मजबूत सेनाओं में से एक होंगी। उन्होंने अधिकारियों से डॉ. बीआर आंबेडकर के समर्पण और भावना के मूल्यों को आत्मसात करने का भी आग्रह किया। उन्होंने बाबा साहब को न केवल भारतीय संविधान के निमार्ता, बल्कि एक दूरदर्शी मार्गदर्शक के रूप में वर्णित किया। उन्होंने लोगों, खासकर युवाओं को उनके मूल्यों और आदर्शों से परिचित कराने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
उन्होंने सीमाओं की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सबसे पहले प्रतिक्रिया देने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्र की रक्षा के लिए यह समर्पण और लगातार बदलती दुनिया में खुद को अपडेट रखने की यह भावना हमें दूसरों से आगे ले जा सकती है। रक्षा मंत्री सिंह को कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही ने संघर्ष के पूरे स्पेक्ट्रम में युद्ध लड़ने के लिए सैन्य नेताओं को प्रशिक्षित करने और सशक्त बनाने की दिशा में संस्थान की भूमिका और महत्व के बारे में जानकारी दी।
उन्हें बहु-डोमेन संचालन में संयुक्तता, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रौद्योगिकी के समावेश और सीएपीएफ अधिकारियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों के साथ किए जा रहे आदान-प्रदान कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण पद्धति में महत्वपूर्ण कदमों के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें मित्र देशों के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और सैन्य कूटनीति में महत्वपूर्ण योगदान देने के माध्यम से संस्थान की वैश्विक छापों के बारे में भी जानकारी दी गई। इस अवसर पर सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इससे पहले रक्षा मंत्री ने शहीदों के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।