सिटी पोस्ट लाइव : शिक्षा विभाग के अपर प्रधान सचिव के.के. पाठक के एक्शन से भले शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी परेशान हैं लेकिन विश्व विख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के.के. पाठक के काम से बहुत प्रभावित हैं. जन जागरण शक्ति संगठन की तरफ से बिहार में सरकारी स्कूलों की स्थिति पर किये गये सर्वे बिहार के सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत ही दयनीय स्थिति सामने आई है. विश्व विख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने के.के. पाठक द्वारा शिक्षा विभाग से जुड़े लिए जा रहे फैसले की सराहना की है.
अररिया और कटिहार के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के इस सर्वे में ये समझ में आया कि बिहार में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ का उल्लंघन हो रहा है. इन 81 स्कूलों में किए गए सर्वे में से एक भी ऐसा स्कूल नहीं है, जिसमें शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन हो रहा है. कहीं शिक्षकों की कमी है, कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, तो कहीं पढ़ाई नहीं हो रही है.इस सर्वे के दौरान जो सबसे चिंताजनक चीज सामने आई है वो यह है कि सर्वे के दिन केवल 20 पर्सेंट बच्चे ही उपस्थित थे. बच्चों की कम उपस्थिति की वजह स्कूल में पढ़ाई का माहौल नहीं होना है. पढ़ाई से बच्चों की रुचि हटते जा रही है और तीसरा ये की स्कूल के समय पर प्राइवेट ट्यूशन होते हैं और बच्चे प्राइवेट ट्यूशन की ओर ज्यादा जा रहे हैं.
ज्यां द्रेज ने बिहार के शिक्षा विभाग के अपर प्रमुख सचिव केके पाठक द्वारा लिए जा रहे फैसले की सराहना करते हुए कहा कि स्कूल के समय प्राइवेट ट्यूशन नहीं चलाने का जो फैसला लिया गया है, वह बहुत ही अच्छा कदम है, लेकिन बिहार में सरकारी स्कूलों की स्थिति को बदलने के लिए और भी कदम उठाने की जरूरत है. क्लास को बढ़ाना होगा. इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाना होगा. मिड डे मील की क्वालिटी में सुधार करना होगा.
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