बिहार में मदरसा की किताबों पर हंगामा.
बिहार के मदरसों में खुलेआम दी जा रही हैं बच्चों को कट्टरपंथ की सीख और नफरत की बातें.
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मदरसों की किताबों में नफरत की बातें पढ़ाई जा रही हैं. मदरसा की किताबों में गैर मुस्लिमों को काफिर बताने और उसे दंड देने जैसी बातें पढ़ाई जाती हैं. मदरसा की किताबों में गैर मुस्लिमों को काफिर बताया जाता है. काफिरों को बख्शा नहीं जाएगा जैसी लाइनें किताबों में लिखी गई हैं. एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने काफिर जैसे शब्दों को पढ़ाने और उसके अर्थ बताने पर सवाल खड़े किये. इनका दावा है कि ये हूबहू वैसी ही बातें हैं जो पाकिस्तान में पढ़ाई जाती हैं.
इस पूरे विवाद का कारण काफिर शब्द है. तालिमुल इस्लाम नाम की पुस्तक में साफ तौर पर काफिर शब्द है और इसका अर्थ बताया गया है. किताब के पेज नंबर 9 पर इसके तहत गैर मुस्लिमों को नहीं बख्शने की बात कही गई है. राज्य सरकार के फंड से चलाये जा रहे मदरसों में ऐसी नफरत भरी बातें पढ़ाने पर विवाद गहरा होता जा रहा है. हालांकि, मदरसा के प्रिंसिपल काफिर शब्द को गलत व्याख्या करने की बात कह रहे हैं. इस बीच मदरसा बोर्ड के सचिव सईद अंसारी ने बताया बैठक कर फैसला लेंगे.
बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने मदरसा में सिलेबस पर हो रहे विवाद पर बड़ा बयान देते हुए बिहार के मदरसों को क्लीन चिट दे दी है. जमान खान ने एनसीपीसीआर अध्यक्ष के मदरसों पर उठाए सवाल पर कहा कि बिहार में ऐसा कुछ नहीं है और न ही देश में है ऐसा कुछ है. जिस काफिर शब्द पर विवाद है इसका मतलब है जो खुदा को, भगवान को और ईश्वर को नहीं मानता वह काफिर है. जमा खान ने बिहार के मदरसों को क्लीन चीट देते हुए कहा कि ऐसा कहीं नहीं है बिहार में और इसको चैलेंज करता हूं. जमा खान ने कहा कि बिहार के सभी मदरसा बिल्कुल सही पढ़ा रहे हैं जो होनी चाहिए. जो जानकारी होनी चाहिए जो पढ़ाई जानी चाहिए.
जमा खान ने कहा नीति है, नीयत है और वह फ्रेश है. वह सबके लिए है. मदरसों में जो भी मुसलमान का बच्चा जाता है भाईचारा के साथ रहना पढ़ने का, सम्मान का तरीका, देश के लिए कुर्बान होने का तरीका बताया जाता है. जो ऐसा कहता है बोलते हैं वह जांच करें, अगर गलत है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन मेरी जानकारी में ऐसा कहीं नहीं है.
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