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राजभवन और सरकार के बीच तनाव बढ़ने के आसार.

नई शिक्षा नीति लागू करने को तैयार नहीं सरकार, रजिस्ट्रार की नियुक्ति पर भी उठ रहे हैं सवाल .

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शिक्षा का क्या हाल होनेवाला है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.बिहार के शिक्षक नई शिक्षा नीति के विरोध में आंदोलित हैं.शिक्षक अभ्यर्थी बाहर के लोगों को शिक्षक की बहाली में शामिल होने के मिले अधिकार से आंदोलित हैं तो बिहार सरकार और राजभवन में रजिस्टार की नियुक्ति को लेकर तनातनी कायम है. पहले तो बिहार सरकार ने नई शिक्षा नीति को लागू करने की बात कही थी लेकिन अब बिहार सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं.

 

हाल के दिनों में राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति लागू करने पर फोकस किया.चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू किया. लेकिन बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री ने साफ कह दिया है कि शिक्षकों, इंफ्रास्ट्रक्चर और धन की कमी है इसलिए नई शिक्षा नीति बिहार में अभी लागू करना संभव नहीं है. चूंकि राज्यपाल ही कुलाधिपति यानी विश्वविद्यालयों के प्रधान होते हैं, इस नाते उनका जोर नई शिक्षा नीति को लागू करने पर है. लेकिन जब नीतीश कुमार ही इसे लागू करवाने के लिए तैयार नहीं हैं तो लागू करना कैसे संभव है.

 

रजिस्ट्रार की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. यह पहले भी दिख चुका है कि जब भी कोई कड़क अफसर शिक्षा विभाग के बड़े पद पर आ जाते हैं तो राजभवन के साथ तनातनी बढ़ जाती है. जब नीतीश सरकार ने के.के. पाठक को शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया तभी यह चर्चा तेज हो गई थी कि राजभवन के साथ तनातनी बढ़ना तय है. राजभवन का जोर इस पर रहता है कि विश्वविद्यालय को संचालित करने का अधिकार उसके पास है जबकि शिक्षा विभाग का मानना होता है कि सरकार वेतन देती है तो कई चीजों को मॉनिटर करने का अधिकार विभाग के पास है.शिक्षा विभाग रजिस्ट्रार को बुलाकर शिक्षा व्यवस्था में सुधर  की बात कर रहा है, रिजल्ट जल्द देने की बात कर रहा है, नियिमित रूप से क्लास लेने को कह रहा है. पहले भी जब के.के. पाठक शिक्षा विभाग में आए थे तनातनी बढ़ी थी.

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