1 रुपये की गुरु-दक्षिणा लेकर इंजिनियर बनाते हैं मैथ गुरु.
1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर 540 से अधिक निर्धन स्टूडेंट्स को बना चुके हैं अबतक इंजीनियर.
सिटी पोस्ट लाइव : अब सबके सपने पुरे हो सकते हैं . इसे सच कर दिखाया है बिहार के जानेमाने गणितज्ञ आर के श्रीवास्तव ने. खुद गरीबी से लड़कर एक मुकाम हाशिल करनेवाला यह मैथ गुरु आर्थिकरूप से कमजोर बच्चों से 1 रूपये गुरु-दक्षिणा लेकर उन्हें बनाते हैं इंजिनियर (आईआईटियन ). गरीबी को बहुत करीब से झेलने वाले इस मैथेमेटिक्स गुरु बिहार से लेकर देश भर में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं.सैकड़ों गरीब बच्चों के इंजिनियर बनने के सपने को साकार कर चुके हैं. आर्यभट्ट, चाणक्य, परशुराम, गणितज्ञ बशिष्ठ नारायण सिंह के अलावे नई पीढ़ी के लिए वरदान साबित हो रहे हैं मैथेमेटिक्स आर.के. श्रीवास्तव. इनके पढ़ाने के तरीके ने ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके शैक्षणिक कार्यशैली के लिए सलाम कर रही है. सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा प्रोग्राम के तहत सैकड़ों निर्धन स्टूडेंट्स को पढ़ाकर इंजीनियर बना चुके हैं और ये सिलसिला आगे भी जारी है.
मैथेमेटिक्स गुरु आर.के. श्रीवास्तव म किसी परिचय का मोहताज नहीं है. विश्व के चर्चित शिक्षकों में शुमार आर के श्रीवास्तव, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में आज के आर्थिक युग में मात्र 1 रुपया में क्रांतिकारी परिवर्तन का सूत्रपात कर एक लंबी लकीर खींच दी है. उनकी चर्चा देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में इनके शैक्षणिक कार्यशैली की चर्चा होती रहती है.बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज के रहने वाले 35 वर्षीय आर.के.श्रीवास्तव करीब 500 बच्चे को अब तक इंजीनियर बना चुके हैं. विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वॉय कौटिल्य भी छात्र हैं. आरके श्रीवास्तव 2008 से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे हैं। उन्होंने अपना नाम ऐसा बनाया कि गूगल पर मैथमेटिक्स गुरु सर्च करने पर सबसे ऊपर उनका ही नाम आता है. आरके विक्रमगंज (रोहतास) के अलावा पटना में भी ‘1 रुपए गुरु दक्षिणा प्रोग्राम’ भी चलाते हैं.
वर्तमान में आरके श्रीवास्तव बिहार राज्य में ही ऑफलाइन क्लासेज के माध्यम से सैकड़ों गरीब बच्चे को मात्र 1 रुपए देकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे हैं. उनके इस संस्थान में और भी शिक्षक हैं जिसे आरके श्रीवास्तव ने नौकरी पर रखा है. वे गरीब बच्चों को 1 रुपए में पढ़ाने के साथ देशभर की सम्मानित संस्थाओं में भी गेस्ट फैकल्टी के तौर पर पढ़ाते हैं, उसमें जो उन्हें पारिश्रमिक मिलते हैं उसी पैसे से घर परिवार चलाते हैं. खुद मुफलिसी में जिंदगी गुजारने वाले आर के श्रीवास्तव गरीब और असहाय स्टूडेंट्स को 1 रूपया गुरु दक्षिणा लेकर इंजीनियर बनाने को संकल्पबद्ध हैं. आर के श्रीवास्तव अबतक 540 से अधिक स्टूडेंट्स को आआइटियन बना चुके है और आगे भी आईआईटियन का कारवां निरंतर जारी है.
आरके श्रीवास्तव ने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं.राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री सहित कई चर्चित हस्तियां इनके शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा कर चुके है. आरके श्रीवास्तव ने अपने घर को चलाने के लिए ऑटो रिक्शा तक चलाया. इनके घर की माली हालत बहुत नाजुक थी. पिता का निधन होने के बाद बड़े भाई ने घर की जिम्मेदारी संभाल ली. आर.के.श्रीवास्तव ने गरीबी में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. जिस क्लास में पढ़ते थे उसी क्लास के लड़कों को मैथेमैटिक्स पढ़ाकर अपने घर परिवार को संभालने लगे.
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