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स्कूल से गायब रहने वाले छात्रों का कटेगा नाम.

KK Pathak के इस कदम से होगी 300 करोड़ की सीधी बचत, जानिये क्या है शिक्षा विभाग का खेल.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के सरकारी स्कूलों में नामांकन करा कर बाहर कोचिंग करनेवाले छात्रों की नकेल शिक्षा विभाग कसने वाला है. शिक्षण प्रणाली में गुणवत्ता सुधार के साथ-साथ छात्रों की उपस्थिति बढाए जाने को लेकर शिक्षा विभाग लगातार काम कर रहा है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी और डीपीओ को पांच-पांच स्कूलों पर विशेष नजर रखने की हिदायत दी है. इन्हें इस बात की भी जिम्मेदारी दी गई है कि अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से बात करें.

 

अपर मुख्य ने  अपने पत्र में कहा है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन राज्य में 10 प्रतिशत ऐसे स्कूल हैं, जहां अभी भी छात्र स्कूल नहीं जाते हैं. इन स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से भी कम है.सरकारी विद्यालयों में नामांकन करवा कर सरकार की विभिन्न योजनाओं का  डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) का लाभ छात्र ले रहे हैं जबकि वो school नहीं जा रहे हैं.

 

सरकारी स्कूलों में नाम लिखवा कर कोटा में कोचिंग करनेवाले छात्रों की पहचान के लिए अपर मुख्य सचिव ने  चाइल्ड ट्रैकिंग व्यवस्था को अपनाने का आदेश दिया है. जो छात्र लगातार अनुपस्थित रह रहे हैं, उनका नामांकन रद्द करने का निर्देश दिया है. इससे सरकार को आर्थिक बचत भी होगी.राज्य सरकार कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं. इसपर राज्य सरकार को लगभग हर साल तीन हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं.यदि लगातार अनुपस्थित रहने वाले 10 प्रतिशत छात्रों का नामांकन रद्द किया जाता है, तो इससे राज्य सरकार को प्रति वर्ष 300 करोड़ रुपये की सीधी बचत होगी.

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