सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पिछले तीन सप्ताह से अपने दफ्तर नहीं जा रहे हैं. मंत्री के दफ्तर नहीं आने को लेकर सचिवालय में हर तरफ चर्चा हो रही है. 20 दिनों से मंत्री विभाग के किसी बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक प्रतिदिन बैठक के साथ-साथ कर रहे हैं समीक्षा कर रहे हैं. निरीक्षण, प्रतिवेदन, हर तरह के काम से मंत्री ने दूरी बना ली है. विशेष बात यह है कि पटना में रहते हुए शिक्षा मंत्री ने विभाग से दूरी बना ली है. अभी अपर मुख्य सचिव ही पूरी तरह से विभाग चला रहे हैं.
शिक्षा मंत्री सार्वजनिक कार्यक्रमों में तो देखे जा रहे हैं, सोशल मीडिया में भी एक्टिव हैं, लेकिन केवल अपने विभाग के कार्यालय ही नहीं जा रहे हैं. ऐसे में चर्चा यही है कि बिहार में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में क्या उनका विभाग बदला जाना है, या फिर उनको पद से हटाया जाना तय है? बहरहाल, अंदरखाने की हकीकत तो अभी फिलहाल किसी को नहीं मालूम, लेकिन इतना अवश्य है कि कई गैर जरूरी बयानों के लिए चर्चा में रहे बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नाराज बताए जा रहे हैं.
नीतीश कुमार की नाराजगी को देखते हुए माना जाता है कि शिक्षा मंत्री को कंट्रोल में करने के लिए सीएम नीतीश ने शिक्षा विभाग में जान बूझकर तेज तर्रार और बेहद सख्त तेवर वाले आइएएस अधिकारी केके पाठक को बतौर अपर मुख्य सचिव तैनात किया. हालांकि, शिक्षा मंत्री इसके बाद भी नहीं रुके और उन्होंने केके पाठक से ही पंगा मोल ले लिया. शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक के बीच विवाद की शुरुआत जुलाई के प्रथम सप्ताह में तब हुई थी, जब उनके पीएस ने पाठक को पीत पत्र के जिए उनके कामकाज पर सवाल उठाया था.
दरअसल, पीत पत्र में पाठक पर आरोप लगाया गया था कि मंत्री से बातचीत किए बिना वे विभाग के महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं. इसके बाद केके पाठक की ओर से शिक्षा विभाग ने पीत पत्र का जवाब भी पत्र के मजमून से ज्यादा तल्ख तेवर में दे दिया. इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग में पीएस की एंट्री पर भी पाबंदी लगा दी गई. शिक्षा मंत्री और केके पाठक के विवाद से सरकार की फजीहत होने लगी. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद अध्यक्ष लालू यादव से इसकी शिकायत की. इसके बाद राजद सुप्रीमो ने शिक्षा मंत्री को फटकार लगाई थी.
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