सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विभाग के प्रधान अपर सचिव के.के. पाठक लगातार बड़े बड़े फैसले ले रहे हैं.अब शिक्षा विभाग ने राज्य के 56 ऐसे एफिलेटेड कॉलेजों की सूची तैयार की है, जिनके पास कक्षाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए बुनियादी ढांचा तक नहीं मौजूद नहीं है.विभाग की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, इन एफिलेट कॉलेजों में कॉलेज के लिए तय मूलभूत मापदंडों की घोर कमी है. ऐसे कॉलेजों की संबद्धता जल्द समाप्त होगी. इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर सितंबर में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्ध 40 कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी गई थी.जांच में पाया गया है कि इन 56 कॉलेजों ने निरीक्षण शुल्क, इंडाउनमेंट शुल्क जमा नहीं किए हैं. ये निर्धारित शर्तों को भी पूरा नहीं करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय द्वारा इन्हें संबद्धता देने में अनियमितता बरती गई है. सिर्फ अनुदान नहीं, पढ़ाई में गुणवत्ता को देना भी प्राथमिकता शिक्षा विभाग सभी संबद्ध डिग्री कॉलेजों में स्थलीय जांच कर बुनियादी ढांचे को खंगाल रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य अनुदान पाने वाले कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है.अब ऐसे कॉलेज संचालकों को केवल परीक्षाफल के आधार पर अनुदान नहीं मिलेगा, बल्कि वर्ष में छात्र-छात्राओं को कितने दिन और कैसी पढ़ाई कराई, कोर्स पूरा कराया या नहीं, यदि सत्र विलंबित है, तो छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम कैसे पूरा कराया, ऐसी तमाम जानकारियां शिक्षा विभाग को देनी होगी.
शिक्षा विभाग ने इन शर्तों को लागू करने का आदेश सभी कुलसचिवों को दिया है. शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने आगाह करते हुए कहा है कि किसी भी संबंद्ध डिग्री कॉलेज को अनुदान पढ़ाई-लिखाई की गुणवत्ता (लर्निंग आउटकम) के आधार पर मिलेगा. जो डिग्री कॉलेज शिक्षा विभाग की शर्तों का नहीं पालन करेंगे, उन्हें अनुदान से भी वंचित होना पड़ेगा.
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