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शिक्षा विभाग में बेकार पड़े हैं 1400 करोड़ रूपये, स्कूल बदहाल.

के.के. पाठक का निर्देश-स्कूलों के विकास में खर्च करें या फिर कोषागार में लौटाएं राशि.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के  प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्कूलों में में  तो शौचालय हैं और ना ही छात्रों के बैठने की व्यवस्था .लेकिन सच्चाई ये है कि विभाग में 1400 करोड़ रुपए पड़े हुए हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने  सोमवार को सभी डीएम को पत्र भेज कहा कि डीईओ को निर्देश दें कि शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए कार्यक्रम चलाएं, विकास कार्य करें और अन्य मद में जरूरी राशि खर्च करें.अगर रुपए खर्च नहीं कर रहे हैं तो उसे कोषागार में जमा करें.

 प्रारंभिक स्कूलों में 261 करोड़ 95 लाख रुपए क्यों पड़े हैं इसकी समीक्षा करने को कहा गया है. अपर मुख्य सचिव ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में विकास और छात्र कोष को मिलाकर 1108 करोड़ रुपए पड़े हैं. इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इसके अतिरिक्त बिहार सरकार के नाम से चल रहे खाते में भी 30.8 करोड़ रुपए हैं.केके पाठक ने कहा कि स्कूलों में किसी सुविधा नहीं होने का बड़ा कारण प्राचार्य द्वारा वित्तीय या प्रशासनिक निर्णय लेने की झिझक है. कक्षा में स्टूडेंट हैं तो पर्याप्त रोशनी के लिए बल्ब नहीं हैं. बल्ब नहीं लगाना प्रधानाध्यापक की नाकामी दर्शाता है. इस तरह की समस्या से निबटने के लिए वे निर्भीक होकर वित्तीय निर्णय लें.

प्रधानाध्यापक 5 लाख तक कोई भी कार्य अपने स्तर से करा सकते हैं. इसके ऊपर के काम के लिए विद्यालय प्रबंध समिति से अनुमोदन जरूरी है. यदि 15 दिनों में अनुमोदन नहीं होता है तो डीईओ से अनुमोदन ले काम कराएं.बीईपी द्वारा खेलकूद, साइंस लैब, एफएलएन किट और यूथ ईको क्लब के लिए राशि भेजी गई, लेकिन यह राशि स्कूलों के खाते में ही पड़ी है. निरीक्षण में पाया गया कि साइंस लैब के उपकरण वर्षों से खुले ही नहीं हैं जो नक्शे बक्सों में बांधकर भेजे गए थे, वह बक्सों में ही रह गए.

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