सिटी पोस्ट लाइव : कार्तिक माह में पड़ने वाले देवउठनी एकादशी का व्रत और तुलसी विवाह. काफी महत्वपूर्ण त्यौहार है.मान्यतानुसार देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) पर भगवान विष्णु अपनी 4 महीनों की निद्रा से उठ जाते हैं इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. देवउठनी एकादशी का दूसरा नाम प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) भी है. तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप से कराया जाता है.
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर, बुधवार रात 11 बजकर 3 मिनट पर हो रही है. एकादशी तिथि का समापन 23 नवंबर, गुरुवार रात 9 बजकर 1 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते इस साल देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह दोनों ही 23 नवंबर, गुरुवार को मनाए जाएंगे. एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन सुबह 6 बजकर 51 मिनट से 8 बजकर 57 मिनट के बीच कर सकते हैं. तुलसी विवाह प्रदोष काल में किया जा सकता है.
देवउठनी एकादशी के दिन व्रत को रखने का अत्यधिक महत्व है. माना जाता है कि इस व्रत को रखने पर जीवन के अनेक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है और एकादशी की पूजा करने पर मान्यतानुसार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं.
माना जाता है कि तुलसी विवाह करवाने पर विवाह के योग बनते हैं इसीलिए जिन लोगों के विवाह में अड़चनें आ रही हों उन्हें तुलसी विवाह करने की सलाह दी जाती है. तुलसी विवाह के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है. विष्णु भगवान और तुलसी माता के समक्ष धूप जलाई जाती है. शाम के समय तुलसी विवाह संपन्न किया जाता है.
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