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साल 2024 खत्म हो रहा है ओर साल 2025 का आगमन होगा। बता दें 2025 में 12 महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाएँ होगी, जिसमें 4 ग्रहण, 3 सुपरमून, 4 ग्रहों का कंजंक्शन और शनि ग्रह बिना रिंग के दिखाई देगा। कंजंक्शन का मतलब है जब दो ग्रह एक-दूसरे के पास आते हैं। इस साल चार ग्रहण में 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण होंगे, लेकिन भारत में केवल एक चंद्र ग्रहण देखा जाएगा। बाकी तीन ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। अगस्त में गुरु और शुक्र का कंजंक्शन होगा, जिसमें गुरु के चार चंद्रमा भी नजर आएंगे। नवंबर में शनि ग्रह केवल एक गोल ग्रह की तरह दिखाई देगा, और उसके रिंग नहीं दिखेंगे, जो 15 साल बाद हो रहा है।
2025 में होने वाली खगोलीय घटनाओं का विवरण:
पहली और दूसरी घटना में दो चंद्र ग्रहण होगा।
पहला चंद्र ग्रहण
- तारीख : 14 मार्च, पूर्ण चंद्र ग्रहण
- कब से कब तक : भारतीय समय अनुसार सुबह 10.39 से दोपहर 2.18 बजे तक
- अवधि : 3 घंटे 27 मिनट
- कहां-कहां दिखेगा : अमेरिका, वेस्ट यूरोप, पेसिफिक, वेस्ट अफ्रीका में दिखाई देगा। भारत में नहीं दिखेगा
दूसरी चंद्र ग्रहण
- तारीख : 7 सितंबर, पूर्ण चंद्र ग्रहण
- कब से कब तक : भारतीय समय अनुसार रात 9.57 से शुरू होगा और रात 1.27 पर खत्म होगा
- अवधि : 3 घंटे 29 मिनट
- कहां-कहां दिखेगा : भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया
तीसरी और चौथी घटना में दो सूर्य ग्रहण होंगे
पहला सूर्य ग्रहण
- तारीख: 29 मार्च, आंशिक सूर्य ग्रहण
- कब से कब तक : भारतीय समय अनुसार दोपहर 2.21 बजे से शुरू होगा और शाम 6.14 बजे खत्म होगा
- अवधि : 3 घंटे 53 मिनट
- कहां-कहां दिखेगा : नार्थ-वेस्ट अफ्रीका, यूरोप, नॉर्थ रूस
दूसरा सूर्य ग्रहण
- तारीख : 21 सितंबर, आंशिक सूर्य ग्रहण
- कब से कब तक : भारतीय
- समय अनुसार रात 11 बजे से शुरू होगा और रात 3.24 बजे खत्म होगा
- अवधि : 4 घंटे 24 मिनट
- कहां-कहां दिखेगा : साउथ पेसिफिक, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका
पाँचवीं, छठी और सातवीं घटना में तीन सुपरमून होगा
पहला सुपरमून
- तारीख : 7 अक्टूबर (शरद पूर्णिमा)
दूसरा सुपरमून
- तारीख : 5 नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा)
तीसरा सुपरमून
- तारीख : 4 दिसंबर (अगहन पूर्णिमा)
इस साल कई ग्रह एक-दूसरे के पास आएंगे, जैसे शुक्र और शनि, गुरु और शुक्र, चंद्रमा और बुध, और चंद्रमा और शुक्र का कंजंक्शन होगा। इन कंजंक्शनों से मौसम में बदलाव हो सकते हैं। प्लैनेट कंजंक्शन तब होता है जब दो ग्रह पृथ्वी से देखने पर एक-दूसरे के बहुत करीब दिखाई देते हैं। हालांकि, वे वास्तव में एक-दूसरे से बहुत दूर होते हैं, बस पृथ्वी से देखने पर वे एक-दूसरे के पास दिखते हैं।