मनुष्य के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है: जीयर स्वामी

Rahul K
By Rahul K

सिटी पोस्ट लाइव

काराकाट (रोहतास)। भगवान के नाम संकीर्तन में वह अद्भुत शक्ति है, जो उन्हें हर पल अपने भक्त के समीप बनाए रखती है। जैसे कोई साधारण व्यक्ति भी अपने नाम की प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होता है, वैसे ही परमात्मा का नाम जपने से मनुष्य के अनेक जन्मों के पाप-ताप शांत हो जाते हैं, और वह शुद्ध होकर भगवान के धाम का अधिकारी बनता है।

यह बातें काराकाट नगर पंचायत के बाद गांव में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्रीलक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहीं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिसका पश्चाताप उसे इसी जीवन में करना पड़े। उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। जो सेवा भगवान ने दी है, उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाना चाहिए।

मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से निभाना है। साथ ही, अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए हर पल उस परमात्मा को याद करते रहना चाहिए, जो जीवनदाता हैं। जो भगवान का नाम जपते हैं, वे पाप-पुण्य के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। न तो उन्हें पाप कर्म बांध पाते हैं और न ही पुण्य कर्म। ऐसे भक्त हमेशा आनंदित रहते हैं और भगवान की कृपा के पात्र बनते हैं।

स्वामी जी ने यह भी कहा कि भगवान को मिठाई और भोग से नहीं, बल्कि सच्ची भक्ति और समर्पण से पाया जा सकता है। यह सोच गलत है कि मंदिर में जाने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा पाने के लिए सच्चा प्रेम और साधना जरूरी है।

उन्होंने बताया कि लोग श्रीराम और श्रीकृष्ण की पूजा तो करते हैं, लेकिन उनके गुण और आदर्श अपने जीवन में नहीं अपनाते। माता-पिता 5-5 बच्चों का पालन-पोषण करते हैं, उन्हें अच्छे संस्कार देते हैं, लेकिन वही बच्चे बड़े होकर अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल नहीं करते। ऐसे में कथा सुनने का कोई अर्थ नहीं, जो जीवन का मार्गदर्शन न बन सके। कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु प्रवचन सुनने के लिए पंडाल में उपस्थित थे।

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