सिटी पोस्ट लाइव
प्रयागराज: महाकुंभ अमृत स्नान का अत्यधिक महत्व है और यह दुनिया भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। महाकुंभ का यह पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। इस दिन संगम में डुबकी लगाने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि कई मान्यताओं के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने विष का सेवन किया था, इसके बाद अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। इन बूंदों के गिरने से चार स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित होता है। अगर महाकुंभ के अमृत स्नान के बाद भगवान शिव की आराधना की जाए और मंत्रों का जाप किया जाए, तो यह व्यक्ति को सभी कष्टों और ग्रह दोषों से मुक्ति दिलाता है।
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को होगा, जो मौनी अमावस्या के दिन पड़ रहा है। यह तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, क्योंकि इस दिन शिव पूजन और जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या के दिन आप महाकुंभ में डुबकी लगा रहे हों या घर पर बैठे हों, भगवान शिव के इन मंत्रों का जाप करके आप आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकते हैं। इन मंत्रों में से कोई एक भी मंत्र जाप करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं:
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ नागदेवताय नमः
- ॐ पषुप्ताय नमः
- ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः
- ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्
- ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नः शिवः प्रचोदयात्
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
इन मंत्रों का जाप 11 या 108 बार करने से विशेष लाभ होता है। यदि आप महाकुंभ में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, तो घर में पूजा स्थल के पास बैठकर इन मंत्रों का जाप करें। महाकुंभ के अमृत स्नान के दिन इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को रोग, भय और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह मंत्र जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और समृद्धि के मार्ग को खोलते हैं।