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प्रयागराज: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला दुनिया भर से श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अनुमान के मुताबिक, इस साल 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिसमें से अब तक करीब 15 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं। मेला 13 जनवरी को शुरू हुआ था, और पहले दिन ही 1 करोड़ 65 लाख लोग स्नान करने पहुंचे थे। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के मौके पर मेला क्षेत्र में भारी भीड़ थी, जबकि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं की संख्या ने नए रिकॉर्ड बनाये। पहले दो दिनों के आंकड़े मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट के माध्यम से साझा किए थे, और फिर मेला प्रशासन हर दिन के आंकड़े जारी करता है।
कुंभ मेला में श्रद्धालुओं की गिनती की शुरुआत 1882 में अंग्रेजों ने की थी। उस समय कुंभ में आने वाले हर रास्ते पर बैरिकेड्स लगाए जाते थे, और हर श्रद्धालु की गिनती होती थी। रेलवे स्टेशन के टिकटों को भी गिनती में शामिल किया जाता था। उस समय करीब 10 लाख लोग कुंभ में शामिल हुए थे, और यह संख्या हर कुंभ के साथ बढ़ती गई। 2025 के कुंभ मेला को हाईटेक बनाया गया है। इस बार गिनती का काम डिजिटल कैमरों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल 2700 कैमरे लगाए हैं, जिनमें से 1800 कैमरे मेला क्षेत्र में लगाए गए हैं। इनमें से 270 कैमरे AI से लैस हैं, जो श्रद्धालुओं की गिनती करते हैं।
मेला क्षेत्र में लगे कैमरों की मदद से ना सिर्फ गिनती की जा रही है, बल्कि भीड़ का प्रबंधन और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा रही है। AI आधारित कैमरे मिनट दर मिनट आंकड़े अपडेट करते हैं, और किसी भी भीड़ के बढ़ने पर तुरंत अलर्ट जनरेट करते हैं। इसके अलावा, कैमरे फेस रिकग्निशन और नंबर प्लेट रिकग्निशन के माध्यम से अपराधियों की पहचान भी कर सकते हैं। हालांकि, इस बार AI कैमरों का इस्तेमाल पहली बार किया जा रहा है, लेकिन इस तकनीक के बावजूद कोई भी तरीका 100% सटीक नहीं हो सकता। पुलिस अधिकारी अमित कुमार के मुताबिक, गिनती के लिए तीन प्रमुख तरीके अपनाए जा रहे हैं: 1. मेला क्षेत्र में मौजूद लोग, 2. चल रहे लोग, और 3. स्नान कर रहे लोग। इसके अलावा, पुराने गणना तरीके भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जिनमें अनुमानित सांख्यिकी का उपयोग किया जाता है।
बीबीडी यूनिवर्सिटी की AI विशेषज्ञ लवी शर्मा कहती हैं कि AI कैमरे कई फैक्टर्स पर काम करते हैं, और यह 100% सही आंकड़े नहीं दे सकते। कैमरे से जो आंकड़े प्राप्त होते हैं, वे एक यूनिक पहचान के बजाय नंबर के आधार पर होते हैं, और ऐसा हो सकता है कि एक व्यक्ति को बार-बार गिन लिया जाए। 2013 के कुंभ मेले में भी गणना के लिए सांख्यिकीय फॉर्मूले का उपयोग किया गया था। इसके अनुसार, एक व्यक्ति 0.25 मीटर जगह घेरता है और एक घंटे में एक घाट पर 15 हजार लोग स्नान करते हैं। इस गणना के आधार पर, यह अनुमान लगाया जाता है कि कुंभ में आने वाली भीड़ की संख्या क्या होगी।
कुंभ मेला प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि इस बार का आंकड़ा बहुत ही अनुमानित है और 100% सटीक नहीं हो सकता। इसके अलावा, शहर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या, ट्रेन और बसों से आने वाले लोगों की संख्या, और पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को भी जोड़कर यह आंकड़ा तैयार किया जाता है। बीबीडी यूनिवर्सिटी की लवी शर्मा के अनुसार, AI कैमरे कई बार गलत आंकड़े दे सकते हैं। हालांकि, यह बेहतर होगा यदि सभी कैमरे सही तरीके से काम कर रहे हों। फिर भी, अभी तक ऐसा कोई तरीका नहीं विकसित हुआ है जो 100% सटीक आंकड़े दे सके। इस प्रकार, भले ही AI और अन्य तकनीकों की मदद से कुंभ मेले की गिनती को आधुनिक बनाया गया हो, लेकिन यह भी सही आंकड़े देने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हो सकता है।