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क्यों नीतीश कुमार को नहीं भुला पा रहा NDA?

BJP से बार-बार मिल रहा है ऑफर, सहयोगी पार्टियों को आज भी है भरोसा ,साथ आ सकते हैं नीतीश .

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सिटी पोस्ट लाइव :विपक्ष यानीI.N.D.I.A गठबंधन की तीसरी बैठक 31 अगस्त-1 सितंबर को मुंबई में होने वाली है. नीतीश कुमार को एनडीए की सहयोगी पार्टियां लगातार ऑफर दे रही हैं. उन्हें भरोसा है कि नीतीश कुमार उधर से इधर आ सकते हैं. हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी और केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले जैसे नेता नीतीश कुमार को ऑफर दे चुके हैं. सीएम नीतीश के काफी करीबी रह चुके जन सुराज के संरक्षक प्रशांत किशोर भी कह चुके हैं कि नीतीश एनडीए के साथ फिर से जा सकते हैं.

हम पार्टी के सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जुलाई महीने में कहा था कि बिहार में राजद-जदयू के बीच चल रहा गठबंधन बिल्कुल बेमेल है. दोनों दलों के वैचारिक और सामाजिक स्तर पर सही नहीं है. इस गठबंधन का ज्यादा दिनों तक बने रहना राज्य हित में ठीक नहीं है. नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे तो अच्छा काम हुआ. महागठबंधन की सरकार बनने पर काम काज कमजोर पड़ गया. नीतीश कुमार अगर एनडीए में शामिल हो जाते हैं तो अच्छा रहेगा.

केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने नीतीश कुमार पर खूब भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले साल ही बीजेपी से नाता तोड़ लिया था, वह किसी भी समय एनडीए में लौट सकते हैं. अठावले ने कहा कि नीतीश कुमार पहले एनडीए का हिस्सा थे और पिछली बार बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था.उन्होंने कहा कि एनडीए के साथ रहते हुए उन्होंने बिहार का काफी विकास किया. नीतीश कुमार अपने हैं और हम लोगों से उनके अच्छे संबंध हैं. उन्होंने मुंबई में होने वाली I.N.D.I.A की बैठक का बहिष्कार करने की सलाह भी दी और कहा वे एनडीए में आते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे.गौरतलब है कि ​​​​​​एनडीए से अलग होने के बावजूद नीतीश कुमार ने राज्यसभा के उप सभापति पद नहीं छोड़ा और हरिवंश उप सभापति पद पर हैं.हरिवंश से हाल में नीतीश की मुलाकात भी हुई है.

हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन कहते हैं कि जीतन राम मांझी ने उनको कहा था आप एनडीए के साथ ज्यादा कंफर्टेबल हैं. बीजेपी का साथ नहीं छोड़िए, लेकिन नीतीश कुमार नहीं माने. हम लोगों ने सोचा नीतीश कुमार वसूलों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन महागठबंधन के साथ जाने के बाद उनका बॉडी लैंग्वेज रातों रात चेंज हो गया.एनडीए के इन दो खास नेताओं के बयान से अलग नीतीश कुमार के करीबी रह चुके जन सुराज के संरक्षक प्रशांत किशोर 28 जुलाई को दावा किया कि नीतीश कुमार बीजेपी से बातचीत के रास्ते को बंद नहीं किए हैं. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि हरिवंश अब भी राज्यसभा में सभापति पद पर काबिज क्यों हैं? यह इस बात का संकेत है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी का दरवाजा बंद नहीं किया है.

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