सिटी पोस्ट लाइव : एलजेपी (पासवान ) के सुप्रीमो चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लागातार हमलावर हैं.दिल्ली से पटना पहुंचे चिराग पासवान ने एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया वह भारतीय जनता पार्टी का ही आशीर्वाद था. चिराग पासवान ने JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि लालू जी का विरोध करने पर ही ललन सिंह का उदय हुआ था, लेकिन आज उन्हीं की गोद में जा बैठे हैं. चिराग पासवान ने कहा है कि ललन सिंह को भाजपा ने पहचान दिलाई और वे भूल गए हैं कि उन्हीं के वोट के चलते वो सांसद बने हैं.
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के द्वारा पार्लियामेंट बहस के दौरान अमर्यादित तरीके से किए गए सवाल-जवाब पर चिराग पासवान ने कहा कि पार्लियामेंट का सदन बहस के लिए होता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के द्वारा सदन में जिस भाषा का प्रयोग किया गया, यह ठीक नहीं. देश के इतिहास में पहली बार ऐसा अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया गया जो सिर्फ प्रधानमंत्री जी को बोलने के लिए बाध्य करने के लिए है. यह अविश्वास प्रस्ताव लाने की मंशा व प्रक्रिया नियमों का दुरुपयोग है.
चिराग ने कहा, प्रधानमंत्री जी के द्वारा यह कहे जाने के बाद भी 10 तारीख को जवाब देंगे, जिसके बाद भी सदन नहीं चलने देना, यह सोच गलत है. वहीं, कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए चिराग ने कहा कि एक राजनीतिक दल को ट्रांसफर पोस्टिंग का लाभ मिल जाए यह वही केजरीवाल हैं. जिनकी पर्चियां लेकर लोग घूमते थे और आज उनका समर्थन कर रहे हैं. मोदी सरनेम केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सजा स्टे पर चिराग पासवान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह न्यायालय की न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से उनकी सजा पर रोक लगाई है इससे यकीनन उनकी सदस्यता वापस होती है. सजा देने का भी काम में न्यायालय के द्वारा किया गया था और लोअर कोर्ट एवं हाईकोर्ट ने उन्हें सजा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सजा पर रोक लगा दी गई यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, उसके और तथ्य आएंगे तो न्यायालय अपना आदेश देगा. वहीं, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के द्वारा कहा जाना कि षड्यंत्र के द्वारा उन्हें फंसाया गया था. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि षड्यंत्र के तहत फसाना राजनीतिक मापदंडों में तो समझ में आता है, लेकिन जहां तक ज्यूडिशरी मामला वहां उसमें इस बातों का उल्लेख करना ठीक नहीं है. इसका मतलब आप न्यायालय पर उंगली उठा रहे हैं.
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