सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड की राजनीति के लिए आज बड़ा उथल-पुथल का दिन है.झारखण्ड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन आज 30 अगस्त को (शुक्रवार को ) बीजेपी में शामिल हो जायेगें.सबके जेहन में ये सवाल है- चंपाई सोरेन बीजेपी के साथ जाते हैं, तो झारखंड की राजनीति कैसे और किस हद तक प्रभावित होगी? आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इससे कितना लाभ मिलेगा? इसमे शक नहीं कि चंपाई सोरेन एक संताल और बेदाग आदिवासी नेता हैं, जिन्हें झारखंड का टाइगर कहा जाता है. वे सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रहे हैं. कोल्हान क्षेत्र में उनका अच्छा-खासा प्रभाव है. लेकिन ये सारा प्रभाव केवल उनका खुद का नहीं है.इसके पीछे JMM का भी हाथ है.इसीलिए झामुमो छोड़ने वक्त भी चंपाई सोरेन ने गुरु जी शिबू सोरेन के प्रति अपना सम्मान दिखा दिया है. चंपाई ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि वे आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा और बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या प्रदेश से मिटाने के लिए बीजेपी के साथ जा रहे हैं.
चंपाई सोरेन के बीजेपी ज्वाइन करने से झामुमो को नुकसान होगा इसमें कोई दो राय नहीं है. गीता कोड़ा पहले से ही इस क्षेत्र की बड़ी नेता थीं अब चंपाई भी उनके साथ होंगे और वे दोनों मिलकर बीजेपी को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे. लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि जेएमएम के पास और भी नेता हैं. चंपाई सोरेन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वे अपने साथ जेएमएम का कितना वोट बैंक लेकर बीजेपी में जाते हैं. जेएमएम एक ऐसी पार्टी है, जहां से अगर कोई नेता जाता है, तो सिर्फ वो नेता जाता है, उसके साथ उसके वोटर्स नहीं जाते. शायद यहीं कारण है कि लोक सभा चुनाव में JMM से BJP के साथ जानेवाले नेता कमाल नहीं दिखा पाए.
जेएमएम के वोटर के लिए उनकी पार्टी और उसका झंडा काफी मायने रखता है. नेता के साथ वो मुश्किल से ही पाला बदलते हैं.लेकिन ये भी सच है कि चंपाई सोरेन एक बड़े नेता है और ईमानदार नेता है, उनके बीजेपी के साथ जाने से कोल्हान में BJP जरूर मजबूत होगी.झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा है, एक सदस्य मनोनीत किया जाता है, जिसे मिलाकर कुल संख्या 82 हो जाती है. अभी यहां झामुमो के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार है. झामुमो के कुल 26 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 16, भाकपा माले के 1 और राजद के 1 विधायक हैं. वहीं 22 बीजेपी के खाते में है, जबकि आजसू के पास 3 सीटें हैं. झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के पास 2 सीटें हैं. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के पास 1,निर्दलीय 2 और 1 मनोनीत विधायक हैं. सात सीटें रिक्त हैं.
कोल्हान प्रमंडल में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं, जहां बीजेपी चंपाई सोरेन के दम पर खुद को मजबूत करने की कोशिश करेगी. इन विधानसभा सीटों पर चंपाई सोरेन का प्रभाव है और उनके अपने वोटर भी हैं. झारखंड विधानसभा की 28 सीटें अनुसूचित जनजाति और 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. अनुसूचित जाति के लिए जो सीट रिजर्व हैं, वे इस प्रकार हैं- बोरियो, बरहेट,लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, महेशपुर, दुमका, जामा,घाटशिला, पोटका, सरायकेला, चाईबासा, मझगांव,जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी,खिजरी, मांडर, सिसई,गुमला विशुनपुर, सिमडेगा,लोहरदगा, मनिका और कोलेबिरा. अनुसूचित जाति के लिए देवघर, सिमरिया,चतरा, जमुआ, चंदनकियारी, कांके, जुगसलाई और छत्तरपुर सीट आरक्षित है.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी सभी पांच एसटी रिजर्व से हार गई थी. यही वजह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इन सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है ताकि उसे बड़ा नुकसान ना हो. झारखंड में लोकसभा की एसटी रिजर्व सीट है-राजमहल, दुमका,सिंहभूम, खूंटी और लोहरदगा. बीजेपी इन पांचों सीटों पर हारी थी. इनमें से सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रसरायकेला, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर में चंपाई सोरेन का अच्छा-खासा प्रभाव है.लेकिन JMM छोड़ने के बाद उनका कितना प्रभाव काम्यम रह पता है, ये देखनेवाली बात होगी.
Comments are closed.