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झारखण्ड में चुनाव प्रचार के लिए क्यों नहीं गये नीतीश कुमार?

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सिटी पोस्ट लाइव : आमतौर पर उप-चुनाव में सत्ताधारी दल ज्यादा जोर नहीं लगाता है जबतक की उस हार जीत से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता हो.लेकिन बिहार में चार सीटों के लिए होनेवाले उप-चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी.खुद नीतीश कुमार लगातार चुनाव प्रचार कर रहे थे.लेकिन पड़ोस के राज्य झारखण्ड में हो रहे विधान सभा चुनाव में नीतीश कुमार एक दिन भी प्रचार के लिए नहीं गये.  एनडीए की मजबूत सहयोगी दल जेडीयू  के सबसे बड़े नेता नीतीश कुमार प्रचार करने झारखंड नहीं जाने को लेकर सियासत गर्म है.जेडीयू के दो उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में है.

 

चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि नीतीश कुमार आखिर प्रचार के लिए क्यों नहीं गए. क्या नीतीश कुमार झारखंड में बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे से नाराज थे या फिर उन्हें बिहार में मुस्लिम वोटरों के नाराज होने का खतरा दिख रहा था, या फिर इसके पीछे भी कोई रणनीति थी. सवाल इस वजह से भी खड़ा हो रहा है क्योंकि चिराग़ पासवान झारखंड में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे. झारखंड के चुनाव  प्रभारी अशोक चौधरी भी झारखण्ड से ज्यादा बिहार में प्रचार करते देखे गये. अशोक चौधरी का कहना है कि  जिस वक्त झारखंड में चुनाव हो रहा था उस वक्त बिहार में भी चार सीट पर उपचुनाव हो रहा था, जो बिहार के सियासत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. इसमें एनडीए के उम्मीदवार के लिए नीतीश जी ने कई चुनावी सभाएं कीं और इस वजह से भी नहीं जा पाए. अशोक चौधरी ने ये कहा कि झारखंड में चुनाव प्रचार नहीं करने जाना कोई मुद्दा  नहीं है.

 

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार एक बड़े नेता हैं और झारखंड चुनाव प्रचार करने उनका नहीं जाना बहुत मायने रखता है. नीतीश कुमार की छवि एक सेक्युलर नेता की रही है और बीजेपी के साथ रहने के बावजूद उन पर मुस्लिम वोटर का झुकाव रहता है. नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार नहीं करने जाने की एक वजह ये भी हो सकती है कि बीजेपी ने इस बार खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेला है जो नीतीश कुमार की राजनीति को शूट नहीं करता है. शायद एक वजह ये भी हो सकती है कि नीतीश कुमार अपने CCC की छवि को बरकरार रखना चाहते हैं.

 

जेडीयू का का बहुत बड़ा दांव झारखंड चुनाव में नहीं लगा हुआ था.ये भी एक बड़ा कारण हो सकता है. दो सीट पर भले ही जदयू लड़ रहा था, लेकिन वो भी अपने सिंबल पर नहीं, बल्कि सिलेंडर चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहा है. इस वजह से भी नहीं गए होंगे. जबकि रघुवर दास उनके काफी अच्छे मित्र भी थे. वहीं, खबर ये भी है कि झारखंड बीजेपी ने नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार कराने को लेकर भी बहुत उत्साह नहीं दिखाया होगा. अगर नीतीश कुमार को बुलाना रहता तो शायद नीतीश कुमार की एक दो चुनावी सभा जरूर हुई होती. बहरहाल, सियासत में जो दिखता है वह होता नहीं है और जो होता है वह दिखता नहीं है. ऐसे में नीतीश कुमार को लेकर उठ रहे सवाल के जवाब ढूंढे जा रहे हैं.

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