सिटी पोस्ट लाइव :‘इक़रा बिस्मी रब्बिका अल्लादज़ी खलाक…’ ‘कुरान की ये आयत’ पढ़कर जिस तरह से प्रशांत किशोर मुस्लिम समाज को जन-सुराज से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उससे तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ गई है.बीजेपी और जेडीयू भी निश्चिन्त नहीं है क्योंकि प्रशांत किशोर के राजनीतिक अभियान से युवा-महिलायें और बुजुर्ग लोग भी बड़ी तादाद में जुड़ रहे हैं.प्रशांत किशोर ‘कुरान की आयत’ पढ़कर उसका मतलब समझाते हुए कहते हैं- इसका पहला शब्द इक़रा है. इक़रा, जिसका मतलब है पढ़ो, लेकिन आज आप वो कौम बन गए हैं, जो देश की सबसे अनपढ़ कौम बन गए हैं. इसलिए आपको मशवरे की जरूरत है.
पटना के बापू सभागार में ‘राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी’ पर चर्चा के लिए मुस्लिम समुदाय के साथ प्रशांत किशोर ने रविवार को एक बैठक की. पीके ने मुस्लिम समुदाय से शिक्षा के महत्व पर जोर दिया, साथ ही राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने और उनके हितों की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को हाशिये पर धकेला जा रहा है और उनके साथ भेदभाव हो रहा है. पीके ने बड़ी साफगोई के साथ कहा कि वह खुद को उनका नेता नहीं मानते हैं, बल्कि ‘जन सुराज’ अभियान के माध्यम से एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो जमीनी स्तर पर लोगों के हितों की रक्षा करे.
प्रशांत किशोर ने मंच पर खड़े होकर ‘कुरान की आयत’ पढ़ी है तो इससे ज्यादा परेशान आरजेडी है. बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के साथ हमेशा मुस्लिम समाज रहा है.आरजेडी का कोर वोट एम-वाई समीकरण यानी मुस्लिम यादव ही रहा है. सभा में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि मुस्लिम समुदाय के पूर्वजों ने देश की आजादी और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन आज उसी देश की संसद में ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं, जिनसे मुस्लिम समुदाय खुद को असहज महसूस कर रहा है. उन्होंने सीएए-एनआरसी और वक्फ बोर्ड जैसे मुद्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे समय में मुस्लिम समुदाय को एकजुट होकर अपने हितों की रक्षा के लिए आगे आना होगा.
उन्होंने कहा, ‘पार्लियामेंट से सीए-एनआरसी का कानून बन गया. पार्लियामेंट से वक्फ बोर्ड की नई कहानी लिखने की कोशिश की जा रही है. इसलिए ये मशवरे का वक्त है. 20 करोड़ मुसलमान, जिनको आप वोट नहीं देते हैं, उसकी बात छोड़िए.कम से कम 10 करोड़ वोट जिसको आपने दिया है, जब कोई गरीब लाचार असहाय मुसलमान रोड पर भीड़ के द्वारा मार दिया जाता है, तो आपका 10 करोड़ वोट पाने वाले लोगों में से 10 आदमी भी आपके साथ खड़ा नहीं होता है. इसलिए मशवरे की जरूरत है. प्रशांत किशोर ने साफ तौर पर कहा कि वह खुद को मुस्लिम समुदाय का नेता नहीं मानते हैं. पीके ने कहा, ‘मैं प्रशांत किशोर आपका नेता नहीं हूं. मैं आपका रहनुमा होने का दावा नहीं करता.जन सुराज कोई दल नहीं है. जन सुराज एक व्यवस्था है, एक सोच है. जन सुराज का उद्देश्य सिर्फ चर्चा करना नहीं, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था बनाना है जो जमीनी स्तर पर लोगों के हितों की रक्षा कर सके.