City Post Live
NEWS 24x7

झारखंड में कौन होगा BJP का चेहरा?

बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा या कोई और होगा बीजेपी का सीएम फेस, अटकलें हुई तेज.

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

 

सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड में चुनावी तैयारी जोरशोर से चल रही है.बीजेपी  और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी  सबसे अधिक सक्रिय दिख रही हैं.बीजेपी के चुनाव प्रभारियों के लगातार दौरे हो रहे हैं. कभी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आ रहे हैं तो कभी असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा पहुंच रहे हैं.बीजेपी झारखंड में लोकसभा की तीन सीटें भले हार गई है, पर उसे 52 विधानसभाओं में बढ़त मिली है. यह उसके लिए सुकून की बात है. अभिनंदन सभाओं के माध्यम से बीजेपी  नेता मतदाताओं के प्रति आभार जता रहे हैं. जिलों का भी दौरा कर रहे हैं.

 

लेकिन सबके जेहन में सबसे बड़ा सवाल ये है कि बीजेपी  किसके चेहरे पर इस बार का विधानसभा चुनाव लड़ेगी. पहले बीजेपी  ने बाबूलाल मरांडी का नाम आगे किया था लेकिन लोक सभा चुनाव हारने के बाद  अब अर्जुन मुंडा भी रेस में आ गये हैं. लोकसभा चुनाव में हार के बाद मुंडा विधानसभा की किसी सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में मतदाता समझ नहीं पा रहे कि बीजेपी  का सीएम चेहरा इस बार कौन होगा. लोक सभा चुनाव के नतीजे से साफ़ है कि राज्यों का चुनाव अब मोदी के चेहरे पर नहीं जीता जा सकता.

 

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन ने 2019 में झारखंड की कमान संभाली थी. उन्हें कांग्रेस और आरजेडी का समर्थन प्राप्त था. इस गठबंधन में कोई बदलाव नहीं हुआ है. अलबत्ता एक नई पार्टी सीपीआई (एमएल) गठबंधन के साथ हो गई है. सीपीआई (एमएल) के एक ही विधायक विनोद सिंह हैं, जो बगोदर से चुनाव जीतते रहे हैं. इस बार उन्होंने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में कोडरमा से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, पर कामयाबी नहीं मिल पाई. मसलन इंडिया ब्लॉक के सीएम फेस हेमंत सोरेन ही रहेंगे, इसमें न किसी को आपत्ति है और न कोई दूसरा दावेदार ही इंडिया ब्लॉक में है.

 

झारखंड में बीजेपी  की सरकार 2014 से 2019 तक रही. चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया, लेकिन सीएम रघुवर दास बनाए गए. बीजेपी के पांव भी झारखंड से रघुवर दास की वजह से ही उखड़े थे. अव्वल तो उन पर गैर आदिवासी सीएम होने का ठप्पा लगा. दूसरा सीएनटी एक्ट में उनकी सरकार ने संशोधन कर आदिवासियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की तो इसे विपक्ष ने आदिवासियों की जमीन छीनने के नैरेटिव के रूप में प्रचारित किया. नतीजा यह हुआ कि बीजेपी की सरकार दोबारा नहीं बन पाई. जेएमएम के नेतृत्व वाले महागठबंधन की सरकार बन गई और हेमंत सोरेन दूसरी बार सीएम बने.

 

बीजेपी  ने इस बार जो रणनीति बनाई है, उसमें बड़े आदिवासी चेहरों को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी है. इनमें कुछ तो लोकसभा चुनाव के हारे हुए खिलाड़ी हैं तो कुछ सुप्तावस्था में किनारे किए गए नेता. सीता सोरेन, गीता कोड़ा, सुदर्शन भगत, समीर उरांव और अर्जुन मुंडा को बीजेपी  इस बार मैदान में उतारेगी.बीजेपी  की चिंता यह है कि लोकसभा के लिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पांच सीटों पर उसे इस बार हार का सामना करना पड़ा है. इन पांच संसदीय सीटों के अंतर्गत विधानसभा की 28 सीटें आती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी सिर्फ दो ही आरक्षित सीटें जीत पाई थी.यही वजह है कि बीजेपी के  रणनीतिकारों ने अपने बड़े आदिवासी चेहरों पर दांव लगाने की योजना बनाई है.

 

बीजेपी की उम्मीद इसी बात पर टिकी है कि लोक सभा चुनाव में 81 विधानसभा क्षेत्रों में उसे 52 पर बढ़त मिली है. इसलिए उसे उम्मीद है कि मंजिल फतह की जा सकती है.लेकिन ये भी सच है कि  लोकसभा में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी वोट मिलते हैं, मगर विधानसभा चुनाव में ऐसा संभव नहीं है. बीजेपी को अपने सीएम फेस का खुलासा करना ही होगा. सामने वाले गठबंधन का चेहरा स्पष्ट है और उसी चेहरे पर इंडिया ब्लॉक ने इस बार लोकसभा की पांच सीटें झारखंड में जीती हैं.

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.