सिटी पोस्ट लाइव : विधान सभा चुनाव की तैयारी में सभी दलों के दिग्गज जुट गए हैं. चिराग पासवान तो बीजेपी को आँख दिखा ही रहे हैं अब राज्य सभा सांसद उपेन्द्र कुशवाहा भी बीजेपी-जेडीयू की टेंशन बढ़ाने वाले हैं. विधान सभा चुनाव में अभी एक साल का समय है लेकिन सीटों की हिस्सेदारी को लेकर उपेंद्र कुशवाह का बड़ा बयान सामने आ गया है. राज्य सभा सांसद और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने विधान सभा चुनाव में सीट बटवारे का अपना फॉर्मूला पेश कर दिया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अलग-अलग होता है. कारण बताते हुए कहा कि लोकसभा के फॉर्मूला से नुकसान हुआ है इसलिए आगे इसमें सुधार होना चाहिए. पुराने अनुभव के आधार पर आदमी आगे करेक्ट करता है. इसलिए करेक्शन होगा.
दरअसल, राष्ट्रीय लोक मोर्चा का एक भी सांसद लोकसभा में नहीं है और न ही विधान सभा में कोई विधायक है. अब गठबंधन की राजनीत में सीटों के बंटवारे को लेकर आपसी समझदारी का मापदंड सदन में कितने सांसद या फिर विधायकों की संख्या के हवाले से होता है. महागठबंधन में जब नीतीश कुमार थे लोकसभा चुनाव के लिए लालू यादव ने विधायकों की संख्या को ही चुनावी आधार माना और इस आधार पर 8 से 10 लोकसभा सीटें जदयू के खाते में डाले.नतीजतन नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन थामा और 16 सीटिंग के आधार पर एनडीए में 16 सीटों पर लड़ने की स्वीकृति मिली.
आगामी विधान सभा चुनाव के लिए एनडीए में शामिल जदयू की हिस्सेदारी का आधार विधान सभा बनाएंगे तो जेडीयू के हिस्से 43 सीटें आयेंगी.ऐसे में जेडीयू के रणनीतिकार बीजेपी पर यह दवाब बनाएंगे कि आधार लोकसभा का बनाया जाए. विधायकों की संख्या के आधार पर राष्ट्रीय लोजपा, लोजपा (आर), राष्ट्रीय लोक मोर्चा के पास शून्य विधायक हैं. ऐसे में सीटों की हिस्सेदारी बीजेपी और जेडीयू के साथ हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के बीच ही बन सकती है.
लोजपा (आर) और हम का स्ट्राइक रेट 100 फीसदी है. इस लिहाजन विधान सभा में ज्यादा सीटों की बात करेंगे. 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग और उपेंद्र की पार्टी एनडीए से अलग लड़ी थी. जेडीयू 115, बीजेपी 110, वीआईपी 11 और हम 7 सीट लड़ी थी. लेकिन अब एनडीए में चिराग, पारस, कुशवाहा भी शामिल हो गए हैं. लोक सभा चुनाव के बाद गठबंधन में नीतीश कुमार का अपर हैंड हैं.वे जो तय करेंगे वही मान्य होगा. जेडीयू 120 सीट पर लड़ना चाहती है. ऐसे में बीजेपी कितनी सीटों पर खुद लडेगी और चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा के लिए कैसे सीट मैनेज करेगी, सबसे बड़ा सवाल है.
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