सिटी पोस्ट लाइव :बिहार बीजेपी के दो दिग्गज नेता पूर्व सांसद अश्वनी चौबे और विधान पार्षद संजय बीजेपी की टॉप लीडरशिप यानी पीएम मोदी, अमित शाह की टेंशन बढ़ा सकते हैं. विधान परिषद में कार्यकाल पूरा होते ही पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान कह रहे हैं कि बीजेपी बिहार में लोकसभा की 12 सीटों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण सफल रही.दूसरी तरफ, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे अब पार्टी को 2025 का विधानसभा चुनाव नीतीश से अलग होकर अकेले लड़ने की सीख देने लगे हैं.
भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय पासवान ने 26 जून को स्वामी सहजानंद पर आयोजित समारोह में कहा, मुझे यह कहने में गुरेज नहीं है कि इस बार (लोकसभा चुनाव में) अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ नहीं होते तो बिहार में भाजपा जीरो पर आउट हो जाती.उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह कहने में थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन यह सच्चाई है. इन दिनों बिहार में ताकत का धुव्रीकरण हुआ है. बिहार में एक ताकत तेजस्वी यादव के साथ गई है. वहीं, नीतीश कुमार भी एक ताकत का समूह बन गए हैं.
दोनों नेताओं के बयान को बीजेपी के नेता से लेकर प्रदेश पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता दबाव की राजनीति बता रहे हैं. दोनों नेताओं के बयान के दूरगामी संदेश हैं.पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने 26 जून को प्रेसवार्ता में कहा था कि उनकी इच्छा है कि बिहार विधानसभा चुनाव भाजपा के नेतृत्व में लड़ा जाए. भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ बनेगी,उन्होंने आगे कहा कि उनकी समझ से प्रदेश हो या जिला कहीं भी किसी आयातित व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष का जिम्मा नहीं सौंपना चाहिए, बल्कि भाजपा संगठन के मूल से जुड़े व्यक्ति को ही अध्यक्ष होना चाहिए. पार्टी में विधायक व सांसद भी आयातित हो रहे .इसके अर्थ यह भी निकाले जा रहे हैं कि चौबे ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर भी प्रश्न खड़े किए हैं. अब भाजपा के दोनों नेताओं को राजग के सहयोगी दल के साथ विपक्षी भी चुटकी ले रहे हैं.
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