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LJPR में अचानक मची भगदड़, 22 नेताओं का इस्तीफा.

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सिटी पोस्ट लाइव : चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-रामविलास में बवाल मचा है. टिकट वितरण के बाद पार्टी में बवाल मचा है. बुधवार को चिराग को पार्टी के 22 पदाधिकारियों ने भी साथ छोड़ दिया. पूर्व सांसद अरुण कुमार चिराग की कार्यशैली पर सवाल उठाकर पहले ही उसका साथ छोड़ चुके हैं. यह चिराग के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा, राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व विधायक सतीश कुमार, संगठन मंत्री रवींद्र कुमार सिंह समेत कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.

एलजेपी (रामविलास )के , मुख्य विस्तारक अजय कुशवाहा, चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार यादव, कला संस्कृति एवं खेल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुधीर प्रसाद, प्रदेश महासचिव राजेश डांगी तथा चितरंजन कुमार, प्रदेश सचिव संजय लाल, क्लेश कुमार यादव, दीपक कुमार तथा अविनव चंद्र समेत अन्य दस पदाधिकारियों ने अपने समर्थकों के संग लोजपा-रामविलास को छोड़ने का एलान किया.इन नेताओं ने चुनाव में टिकट बेचने का गंभीर आरोप चिराग पासवान पर लगाया है.

 कुछ नेताओं को चुनाव लड़ाने का बार-बार आश्वासन देकर उन्हें धोखे में रखने का भी आरोप लगाया है.संगठन मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले रवीन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि भाजपा को भ्रम में रखते हुए चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान का नाम बेच रहे हैं. सबसे शर्मनाक यह कि चिराग ने चुनाव में टिकट बेचने का काम किया.पूर्व विधायक सतीश कुमार ने धन बल को बढ़ावा देने का आरोप चिराग पर लगाते हुए कहा कि चिराग ने बार-बार उन्हें नालंदा में चुनाव लड़ने की तैयारी कराने को कहा. वे नालंदा के हर प्रखंड में कार्यक्रम करते रहे, पैसा खर्च किया. चिराग ने धोखा दिया.

रेणु कुशवाहा को खगड़िया से चुनाव लड़ाने दा बार-बार आश्वासन दिया गया, लेकिन वहां से टिकट भागलपुर के सोने के बड़े कारोबारी को दे दिया. समस्तीपुर में भी एक मंत्री की बेटी को टिकट देने का काम किया. पूर्व सांसद अरुण कुमार भी चिराग पर कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि संकट के समय में हमने साथ दिया. अपनी पार्टी का विलय कर दिया. उन्हें जहानाबाद या नवादा से चुनाव लड़ने को लेकर चिराग ने बार-बार आश्वस्त कर धोखे में रखा.

लोजपा-रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान ने पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं द्वारा टिकट बेचने संबंधी लगाये गये आरोप को नकार दिया है. उन्होंने कहा कि इस तरीके के आरोप हर दल में लगाए जाते हैं, जब उनको सीटें नहीं मिलती या उनको लड़ने का मौका नहीं मिलता.जो भी सच्चाई हो ये तो तय है कि चुनाव के ठीक पहले इतनी संख्या में नेताओं के पार्टी से नाता तोड़ने से चिराग पासवान को जोर का झटका लगा है.

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