सिटी पोस्ट लाइव : मगध एवं शाहाबाद की सात सीटों पर NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की हार की समीक्षा शुरू हो गई है. बिहार भाजपा (BJP) की ओर से बुधवार को प्रदेश मुख्यालय में बुलाई गई बैठक में लोकसभा एवं विधानसभा विस्तारकों ने इस सच्चाई से प्रदेश नेतृत्व को अवगत करा दिया है.विस्तारकों ने एक सुर में राजग प्रत्याशियों की हार का कारण गठबंधन दलों का वोट ट्रांसफर नहीं होना बताया है. विशेषकर जदयू का वोट भाजपा को ट्रांसफर नहीं हुआ. यही कारण रहा कि राजग के छह प्रत्याशी मगध-एवं शाहाबाद में चुनाव हार गए.एक बड़ा कारण प्रत्याशियों के रवैये के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं की उदासीनता भी रही. वे मतदाताओं को बूथ तक लाने में उत्साह ही नहीं दिखाए.
अंतिम दौर यानी सातवें चरण की आठ सीटों में राजग के छह प्रत्याशी चुनाव हार गए थे. उनमें भाजपा की चार (पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम) और जदयू-रालोमो की क्रमश: जहानाबाद व काराकाट में हार हुई है. पहले चरण के चुनाव में भी भाजपा एक सीट (औरंगाबाद) पर हार गई.बैठक में प्रदेश के अध्यक्ष सह उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा, प्रदेश संगठन महामंत्री भीखू भाई दलसानिया, बक्सर एवं सासाराम में चुनाव हारने वाले भाजपा के प्रत्याशी क्रमश: मिथिलेश तिवारी और शिवेश राम के अलावा कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे.
काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पवन सिंह (Pawan Singh) को लेकर राजद की ओर से यह अफवाह फैलाई गई कि भाजपा ही पवन सिंह को लड़ा रही है. इस कारण कुशवाहा समाज में गलत संदेश गया. इसकी नाराजगी राजग प्रत्याशियों को पूरे शाहाबाद क्षेत्र में झेलनी पड़ी.कुशवाहा समाज ने राजग (NDA) प्रत्याशियों को वोट ही नहीं दिया. उसका वोट महागठबंधन के पक्ष में चला गया. औरंगाबाद में राजद (RJD) के अभय कुशवाहा और काराकाट में भाकपा (माले) के राजाराम कुशवाहा की जीत का असली कारण यही है.
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