सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में चार विधान सभा के होने वाले उपचुनाव आरजेडी और बीजेपी के दोनों के लिए बहुत मायने रखते हैं. विधानमंडल के दोनों सदनों में संख्या बल के अनुसार बीजेपी नंबर वन पार्टी है.विधान मंडल में सर्वाधिक सदस्यों की संख्या के बल पर बीजेपी की हनक बरकरार है.बीजेपी विधान सभा में 78 विधायकों की संख्या बल के साथ नंबर वन पर है.राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों की संख्या 79 थी. लेकिन रामगढ़ के विधायक सुधाकर सिंह और बेला के विधायक सुरेंद्र यादव के इस्तीफा देने के बाद विधायकों की संख्या 77 हो गई है. इनमें तीन विधायक चेतन आनंद, प्रह्लाद यादव और नीलम देवी की सदस्यता पर सवाल खड़े किए गए हैं. उन पर विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव का फैसला आना बाकी है. जब तक नहीं आता ये आरजेडी के विधायक ही कहलाते रहेंगे.
लेकिन विधान सभा उप चुनाव के परिणाम नंबर वन पार्टी का पोजीशन बीजेपी से छीन सकते हैं.लेकिन ये तभी संभव होगा जब आरजेडी बेला ,रामगढ़ और इमामगंज विधान सभा सीटों के उप चुनाव में जीत जाये. ऐसे में इनकी संख्या 80 पहुंच जाएगी और बीजेपी तब 78 विधायकों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी बन जायेगी.नंबर वन पर बने रहने के लिए ईन सीटों पर बीजेपी की जीत जरुरी है. नीलम देवी, चेतन आनंद और प्रहलाद यादव की सदस्यता रद्द हो जाने पर भी बीजेपी नंबर वन पर बनी रह सकती है.
इस उप चुनाव में बीजेपी रामगढ़ और तरारी विधान सभा में दमखम दिखा सकती है. इन दोनों विधान सभा सीटों पर गर जीत गई तो बीजेपी के विधायकों की संख्या 80 हो सकती है. इमामगंज से जेडीयू का उम्मीदवार खड़ा होगा जबकि एक सीट पर जीतन राम मांझी की पार्टी का उम्मीदवार मैदान में होगा.75 सीटों वाली विधान परिषद में भी बीजेपी अब नंबर वन पार्टी बन गई है.जेडीयू के 24 और बीजेपी के 24 विधान पार्षद थे. अब जब विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर सांसद हो गए तो बीजेपी यहां भी नंबर वन पार्टी हो गई है. 23 विधान पार्षदों की संख्या पर जेडीयू नंबर दो की पार्टी बन गई और 13 विधान पार्षदों की संख्या बल के साथ आरजेडी विधान परिषद में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है.
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