रघुवर दास की भाजपा में वापसी पर सुप्रियो भट्टाचार्य का तंज, कहा- हेमन्त के बाउंसर से चोटिल हो गए थे…

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By Rahul

सिटी पोस्ट लाइव
रांची ।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की सक्रिय राजनीति में वापसी पर तंज कसा है। शुक्रवार को झामुमो प्रदेश कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये सुप्रियो ने कहा कि राज्य में रिटायर खिलाड़ी भाजपा के पिच पर बैटिंग करने आया है। 2019 में हेमन्त बाबू के बाउंसर से वह पूरी तरह चोटिल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए ओडिशा भेजा गया था। सुप्रियो ने आगे कहा कि रघुवर दास जी ने खुले मंचो से कहा कि वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं।

राज्यपाल का चयन देश की राष्ट्रपति का काम होता है। ऐसे में चिंता का विषय है कि भाजपा के कार्यकर्ता को संविधान की रक्षा करने के लिए राज्यों में भेजा जाता है।सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रघुवर दास राज्य सरकार को 5 महीना सहयोग करना चाहते हैं। वह टकराने की बात भी कह रहे थे। सुप्रियो ने कहा कि भाजपा टकराहट के लायक बची ही नहीं है। क्योंकि जनता ने उन्हें उस काबिल नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि अपलोगों के हर प्रकार का उपचार का दायित्व हमलोगों ने ले लिया है।

बार-बार हमलोग बोलते थे रही का एक लाख छत्तीस हजार करोड़ राज्य बाकी है। उसे हमेशा नकारते रहे। जब कोयला मंत्री यहां तब उन्होंने माना कि झारखंड का पैसा बाकी है। आज बहुत बड़े स्तर पर उन्होंने कहा कि मैं उउछ का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बना रहे हैं। सुप्रियो ने कहा कि आप हमारे जमीन पर ही बना रहे हैं। कोई एहसान नहीं कर रहे हैं। आप हमलोगों को विस्थापित करते हैं। आप ये कोई सेवा भाव से नहीं कर रहे हैं।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि भाजपा डरी सहमी और हतोत्साहित है। लोगों का विश्वास खोने के बाद कोई भी राजनीतिक पार्टी जमीन पर खड़ी नहीं रहती। आज सुप्रीम कोर्ट को बताना पड़ रहा है कि आप झारखंड में अपना विधायक दल का नेता तय करना होगा। लेकिन भाजपा को विधायक दल का नेता नहीं मिल रहा है। सीपी सिंह जी आस लगा कर बैठे हैं, बाबूलाल जी आस लगाए बैठे हैं, ऐसी स्थिति भाजपा को हो गई है।

रघुवर दास के बीजेपी में वापसी से झारखंड की जनता को नहीं होगा कोई लाभ : कैलाश

झारखंड प्रदेश राजद के महासचिव सह मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बीजेपी में वापसी करने पर कहा कि रघुवर दास एक असफल मुख्यमंत्री और राज्यपाल साबित हुए हैं। बीजेपी के शीर्ष नेताओं के आदेश पर पार्टी में वापसी महज एक इवेंट नाटक है और पार्टी में चल रहे भीषण घमासान को शांत करने की नाकाम कोशिश है। कहा कि उन्होंने हाथी उड़ाकर राज्यवासियों को बेवकूफ बनाने का काम किया और राज्य की जनता का पैसा बर्बाद किया। उनके पार्टी में वापसी होने से झारखंड की जनता को कोई लाभ नहीं होगा।

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