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जेडीयू की सिटिंग सीटों पर आरजेडी-कांग्रेस का दावा!

सीटों के बंटवारे को लेकर विपक्षी गठबंधन की एकजुटता टूटने का बना हुआ है बड़ा खतरा.

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सिटी पोस्ट लाइव : विपक्षी गठबंधन के बीच सीटों का बटवारा आसान नहीं है. बिहार में छह दलों के महागठबंधन में लोकसभा सीटों का बंटवारा होना है. कुल सीटें 40 हैं. अभी इनमें एनडीए के पास 23 सीटें हैं. 17 सीटें बीजेपी के पास हैं तो 6 सीटें अविभाजित लोजपा के पास. नीतीश कुमार ने 2019 का चुनाव बीजेपी के साथ एनडीए फोल्डर में रह कर लड़ा था. नतीजतन जेडीयू भी 16 सीटें जीत गई थी. आरजेडी शून्य पर आउट हो गया था तो कांग्रेस के खाते में एक सीट आई थी.

नीतीश कुमार के पीएम और तेजस्वी के सीएम बनने का सपना तो दूर, अभी आसन्न लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में सीटों का बंटवारा महासंकट बन गया है. नीतीश कुमार 16 से कम पर तैयार नहीं हैं. इसलिए कि इतनी सीटों पर पिछली बार जेडीयू के उम्मीदवार जीते थे. आरजेडी उन्हें उतनी सीटें देना नहीं चाहता. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों की दावेदारी अलग है. कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह का कहना है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इसलिए इस बार भी उन्हें उतनी ही सीटें चाहिए. लेफ्ट पार्टियां भी तकरीबन इतनी ही सीटों की दावेदारी कर रही हैं. अगर उनकी बात मान ली गई तो आरजेडी और जेडीयू के लिए 20 सीटें ही बचेंगी.

सीटें आखिरकार बंट तो जाएंगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या आरजेडी और जेडीयू 20 सीटों से संतुष्ट हो पाएंगे. लेकिन सबसे बड़ा पेंच है कि आरजेडी ने जेडीयू की छह सीटों पर दावा ठोंक दिया है. बांका, भागलपुर, गोपालगंज, जहानाबाद, मधेपुरा और सीवान की सीटें आरजेडी अपने लिए चाहता है. कांग्रेस भी जेडीयू की कटिहार सीट पर दावा कर रही है. यानी इस हिसाब से देखें तो जेडीयू के खाते में सिर्फ नौ सीटें ही मिलती दिख रही हैं. जेडीयू इसके लिए तैयार होगा, इसमें संदेह है. यही वह वक्त होगा, जब नीतीश कुमार को कोई कड़ा फैसला लेना पड़ सकता है. जेडीयू नेताओं के लगातार टूटते जाने से नीतीश वैसे ही परेशान हैं.

नीतीश कुमार को अगर अपनी सिटिंग सीटों में कटौती करने की नौबत आती है तो उन्हें उन नेताओं को मनाना-समझाना मुश्किल होगा, जो इस बार भी टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं. टिकट न मिलने की स्थिति में वे बीजेपी का रुख कर सकते हैं. बीजेपी ने इसीलिए  पहले से ही नीतीश कुमार को पिछली बार दी गई सीटें अपने पास ही रखी हैं. अब नीतीश कुमार को यह तय करना होगा कि वे सीटों से समझौता कर विपक्षी गठबंधन के साथ बने रहेंगे या पुराने अंदाज में फिर पाला बदल कर एनडीए का साथ पसंद करेंगे. सीटों के बंटवारे के सवाल पर लालू यादव और नीतीश कुमार की लगातार बैठकें होती रही हैं. माना जा रहा है कि सीटों में कटौती को लेकर नीतीश को मनाने का लालू लगातार प्रयास कर रहे हैं.

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