सिटी पोस्ट लाइव : राहुल गांधी की संसद से सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है. विपक्ष का भी उसे अच्छा समर्थन मिल रहा है.लेकिन चुनाव जितने के लिए जनता का जो समर्थन चाहिए वो नहीं मिल रहा.कांग्रेस के नेता भले गुस्से में दिख रहे हैं लेकिन जनता बेपरवाह है.जाहिर है । मिशन 2024 की डगर आसान नहीं है.कांग्रेस के दिग्गज नेता और वित्त मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने स्वीकार किया है कि राहुल के लिए जनता का समर्थन गायब है. वायनाड जहां से राहुल सांसद हैं कांग्रेसियों के छिटपुट विरोध प्रदर्शनों के अलावा वहां कोई ऐक्शन नहीं है. कांग्रेस नेता लोगों को मोबलाइज करने में नाकाम साबित हुए हैं.
लोकसभा से राहुल की सदस्यता खत्म होने के बाद कांग्रेसियों का प्रदर्शन जारी है.कांग्रेस ने आसमान सिर पर उठा रखा है. उन्हें इस बात की भी उम्मीद है कि इससे कुछ सहानुभूति हासिल करने में मदद मिलेगी. लेकिन, कोई भी विरोध बिना जनता के समर्थन के सफल साबित नहीं हो सकता है.राहुल की सदस्यता छिनने के बाद रविवार को इसके विरोध में देशभर में ‘सत्याग्रह’ का आह्वान किया गया. वायनाड में कांग्रेसियों ने कुछ प्रदर्शन किए। लेकिन, कुल मिलाकर मामला ठंडा ही रहा. पार्टी की इकाई में जान फूंकने के लिए अब तक कोई बड़ा नेता यहां नहीं पहुंचा है.
कांग्रेस के साथ विपक्ष भी राहुल गांधी के समर्थन में सड़क पर उतरा है. लेकिन, जनाक्रोश गायब है. इस चीज को कुछ नेताओं ने भांप लिया है. पी चिदंबरम भी उन्हीं में से हैं. उन्होंने माना है कि राहुल गांधी के लिए जनता का समर्थन नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने निराशा भी जताई है कि पिछले कुछ सालों में जनता किसी भी मुद्दे पर प्रदर्शन करने नहीं आई है. चिदंबरम ने किसान आंदोलन को भी जनता का समर्थन नहीं मिलने की बात कही है. इसका एक अलग मतलब भी निकलता है कि लोगों का समर्थन मोदी सरकार के साथ है. एक बड़ा वर्ग मोदी सरकार को इसके लिए कसूरवार नहीं मानता है. उसे लगता है कि राहुल गांधी के साथ जो हुआ है, वह पूरी तरह से न्यायसंगत है. विपक्ष सिर्फ अपने फायदे के लिए इस मुद्दे को तूल देने में लगा है.
लोगों का सेंटिमेंट अगर राहुल के पक्ष में होता तो जरूर वे सामने आते. सड़कों पर लड़ रहे कांग्रेसियों और विपक्षियों के पीछे खड़े होते. उनका साथ नहीं आना दिखाता है कि विपक्ष एक साथ जुटकर बीजेपी को चित करने की जो रणनीति बनाने में लगा है, उसे अमलीजामा पहनाना उतना आसान नहीं है. कांग्रेस और विपक्ष को तभी सफलता मिलेगी जब लोग मोबलाइज होंगे. सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन काफी नहीं है. इसमें लोगों को जोड़ना होगा. कुछ ऐसी तरकीब निकालनी होगी कि लोग साथ खड़े दिखाई दें. फिलहाल, ऐसा होता नहीं दिख रहा है.शायद यहीं वजह है कि अब तेजस्वी यादव भी कहने लगे हैं कि अभी न उन्हें सीएम बनने की जल्दी है और ना ही नीतीश कुमार को पीएम बनने की.
या या यह बीजेपी के लिए निश्चित ही राहत की बात है।
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