पूर्णिया: पप्पू यादव बनाम संतोष कुशवाहा?

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सिटी पोस्ट लाइव :  पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में पप्पू यादव के डटे रहने की वजह से चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. 8 अप्रैल तक का निर्धारित समय खत्म होने के बावजूद पप्पू यादव ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया. कैंची चुनाव चिन्ह पर पप्पू यादव चुनाव मैदान में अब भी डटे हुए हैं. अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि पूर्णिया में लड़ाई त्रिकोणात्मक हो जायेगी या फिर सीधा मुकाबला पप्पू यादव और JDU के उम्मीदवार से हो जाएगा.

 

पप्पू यादव ने पिछले दिनों कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर दिया था. कांग्रेस की तरफ से इन्हें भरोसा दिलाया गया था कि पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से यह पार्टी के उम्मीदवार होंगे. लेकिन, महागठबंधन की सीट शेयरिंग में पप्पू यादव पीछे रह गए और बीमा भारती ने राजद का टिकट हासिल कर लिया. इस बाबत पूछे जाने पर बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष समेत दूसरे नेता अब यह भी कह रहे हैं कि पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हुए ही नहीं है, क्योंकि उन्होंने विधिवत रूप से कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण नहीं की है.

 

साफ है कि पप्पू यादव को लेकर कांग्रेस पार्टी जहां राजद को संदेश दे रही है कि उनकी उम्मीदवारी के विरुद्ध है, वहीं पप्पू यादव के खिलाफ कांग्रेस द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जाना सवालों के घेरे में है. ऐसे सवाल यह है कि जिस नेता ने अपनी पूरी पार्टी का विलय कांग्रेस में ही कर दिया हो तो क्या वह कांग्रेस का अंग नहीं हैं? वैसे बिहार कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी आलाकमान के स्तर पर इस मसले को सुलझा लिया जाएगा और पप्पू यादव पर कार्रवाई होगी.

 

 कांग्रेसी नेताओं के बयान से बेफिक्र  पप्पू यादव चुनावी मैदान में लगातार डटे हुए हैं और कैंची चुनाव चिन्ह के साथ पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में अपना परचम लहराने का दावा कर रहे हैं. पप्पू यादव पप्पू यादव अपने मामले को लेकर और आजाद पर अघोषित रूप से हमला करने से भी नहीं चुप रहे और उसपर  भाजपा को सहयोग करने का आरोप लगाते नहीं थक रहे. बहरहाल, क्या होगा पप्पू यादव का इस पर सब की निगाहें टिकी हुई हैं. इन सबसे अलग पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में चुनावी लड़ाई अब दिलचस्प बन गई है.

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