सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर नॉन-प्रैक्टिस भत्ता भी लेते हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस भी करते हैं. अब ईन डॉक्टरों को निजी जासूस पकड़ेगें.उनके प्राइवेट प्रैक्टिस का सबूत जुतायेगें. आइजीआइएमएस की शासीनिकाय की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत भी शामिल थे. बैठक में तय हुआ कि पकड़े जाने पर सीधे कार्रवाई की जायेगी. नेत्र रोग विभाग में आधुनिक सुविधाओं का विस्तार और 1200 और 500 बेड के नये अस्पताल का निर्माण कार्य तय सीमा के अंदर कराने का फैसला भी लिया गया.
बैठक में मंत्री ने मरीजों के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मचारियों के मुद्दों पर भी चर्चा की. वहीं, सूत्रों की मानें, तो मंत्री को कई कर्मचारियों ने अस्पताल के मैनेजमेंट व्यवस्था के खिलाफ शिकायत की थी. इसके बारे में उन्होंने अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों से मौखिक पूछताछ की. बताया जा रहा है कि बायोमेडिकल इंजीनियर, साइंटिस्ट आदि का प्रमोशन अभी रुका हुआ है. इसका अप्रूवल कर्मचारियों ने कोर्ट आदि के माध्यम से मंत्री व विभाग के सामने भी प्रस्तुत किया था. मंत्री ने तुरंत सभी पेंडिंग फाइल की जांच कर निबटारा करने को कहा. बंद कमरे में दोपहर तीन बजे से शुरू यह बैठक करीब 45 मिनट तक चली.
आइजीआइएमएस की इमरजेंसी, आइसीयू, एडवांस राशि जमा, प्राइवेट रूम सहित अन्य सेवाओं की राशि बढ़ाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया. बीते वर्ष संस्थान प्रशासन की ओर से कई सुविधाओं में बीओजी के निर्णय की प्रत्याशा में राशि बढ़ा दी गयी थी. बाद में उच्च स्तर पर इसे अविलंब वापस लेने का निर्देश दिया था. मरीज हितों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, बीओजी सभी सदस्यों ने इसे खारिज कर दिया. बैठक में संस्थान के निदेशक डॉ बिंदे कुमार, बीओजी के सदस्य डॉ सुभाष प्रसाद समेत कई सदस्य शामिल थे.