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बाउंसर आ रही गेंद पर भी छक्का मार रहे हैं प्रशांत किशोर.

पीके ने खेला बड़ा दांव, कर दिया बड़ा ऐलान, जन सुराज की सरकार आई तो मिलेगी बड़ी सौगात ...',

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सिटी पोस्ट लाइव : अबतक दुसरे राजनीतिक दलों के लिए चुनाव में काम कर देश भर में नाम कमा  चुके चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं.उनके जन सुराज अभियान ने बिहार के सभी राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है.2 अक्टूबर को उनका जन-सुराज अभियान एक राजनीतक दल बनने जा रहा है.लेकिन राजनीतिक दल बनने के पहले ही जन-सुराज अपना जलवा दिखाने लगा है.जाति-मजहब के बंधन को तोड़कर युवा-बुजुर्ग जन-सुराज अभियान से जुड़ रहे हैं.

 

आज शनिवार को प्रशांत किशोर पटना के बापू सभागार में अल्पसंख्यक समाज के राजनीतिक भागेदारी पर मंथन करने जा रहे हैं.सूत्रों के अनुसार राजधानी पटना में पहली बार इतनी संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों का बड़ा जुटान होने जा रहा है. इस बीच  प्रशांत किशोर ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक बड़ा एलान कर दिया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में जन सुराज की सरकार आई तो बुजुर्गों को दो हजार रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी. प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी नीतीश सरकार बुजुर्गों को पेंशन के नाम पर मात्र 400 रुपये की भीख देने का काम कर रही है.

 

हर परिवार की चिंता अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर है.सरकारी स्चूलों की पढ़ाई राम भरोसे है.ऐसे में निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना लोगों की मज़बूरी है.लेकिन 80 फीसदी लोग निजी स्चूलों का खर्च वहां नहीं कर सकते.प्रशांत किशोर ऐसे बच्चों के निजी स्चूलों में पढने का खर्चा देने का  वादा  कर सरकार की चिंता बढ़ा रहे हैं.अगर वाकई लोगों की समझ में प्रशांत किशोर की ये बात आ गई कि उन्याहें राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की जगह अपने बच्चों के भविष्य की चिंता करनी चाहिए तो बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आ जाएगा. बीजेपी -लालू यादव को हारने और जिताने की चिंता छोड़ लोग एक मौका प्कोरशांत किशोर को दे सकते हैं.अगर ऐसा हुआ तो पहले झटके में ही दिल्ली की तरह बिहार में भी एक नई सरकार बन जायेगी.

 

सबसे ख़ास बात लोग नेताओं की तरह प्रशांत किशोर के वायदों को शक की निगाह से नहीं देख रहे हैं.उन्हें पूरा भरोसा है कि प्रशांत किशोर जो कहते हैं वो करते हैं. दुसरे राजनीतिक दलों के प्रशांत किशोर की यहीं छवि सरदर्द बनती जा रही है.एक तरफ लालू यादव के राजकाज को देख चुके लोग तेजस्वी यादव पर भरोसा नहीं कर पा रहे वहीं नीतीश कुमार से भी अब उन्हें ज्यादा उम्मीदें नहीं रह गई हैं.ऐसे में प्रशांत किशोर उन्हें एक बेहतर विकल्प के रूप में नजर आ रहे हैं.

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