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फ्लोर टेस्ट से पहले RJD में ही ‘खेला’!

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सिटी पोस्ट लाइव :नीतीश सरकार के  शक्ति परिक्षण के दिन खेला करने का दावा करनेवाले तेजस्वी यादव के साथ ही बड़ा खेला हो गया है.बिहार विधानसभा में शक्ति परीक्षण से दिन पहले RJD  के लगभग एक दर्जन  विधायक लालू प्रसाद के रडार से बाहर जा चुके हैं.उनकी खोज-खबर ली जा रही है. फोन मिलाया जा रहा है. उनके नजदीकियों के पास ‘विशेष दूत’ भेजकर जानने का प्रयास किया जा रहा है कि वे कहां हैं और सतत संपर्क में रहने से कन्नी क्यों काट रहे हैं?

 

लालू की पहुंच से दूर रहने वाले विधायक माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण से अलग हैं. हालांकि RJD  पहले से ही मानकर चल रहा कि उसके दो विधायक आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद और मोकामा की नीलम देवी पाला बदल चुके हैं. दोनों का RJD  से मोहभंग हो चुका है.लेकिन संकट तब बड़ा हो गया जब उनके आलावा 10 विधायक लापता हो गये.

 

सूत्रों के अनुसार RJD  के एक पूर्व मंत्री के आवास पर तीन-चार दिन पहले गुप्त बैठक हुई थी, जिसमें RJD  में रहकर क्या खोया और क्या पाया के आधार पर आत्म-विश्लेषण किया गया. इस बैठक का निष्कर्ष अन्य विकल्पों पर विचार करने का भी था. सूत्र का यह भी दावा है कि तेजस्वी यादव स्पीकर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के लिए शक्ति परीक्षण के दिन जिस ‘खेला’ होने की बात कर रहे हैं, ज्यादा संभावना है कि उनके विधायक ही उनके साथ बड़ा खेला कर सकते हैं.उनके कुछ विधायक सदन में अनुपस्थित रहकर खेल बिगाड़ सकते हैं.

 बिहार की नई सरकार की विधानसभा में 12 फरवरी को परीक्षा है. इसी दिन विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी, जिससे साफ हो जाएगा कि किसके पक्ष में कितने विधायक हैं. अबतक कांग्रेस विधायकों के सबसे ज्यादा टूटने का डर था. यही कारण है कि 19 में से उसके 16 विधायकों को करीब हफ्ते भर से बिहार से बाहर हैदराबाद के रिसार्ट में रखा गया है, जहां कांग्रेस की सरकार है. भाजपा-जदयू की तरफ से भी एहतियात बरता जा रहा है. विधायकों पर नजर रखी जा रही है.

बिहार में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 122 विधायक चाहिए. सत्ता पक्ष के पास अभी 128 विधायक हैं.चार विधायकों वाली पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है. पार्टी प्रमुख जीतनराम मांझी ने पहले ही यह बताकर सत्तापक्ष को सशंकित कर दिया है कि लालू प्रसाद की तरफ से उन्हें सीएम पद का ऑफर दिया गया था. यदि उन्होंने निष्ठा बदल ली और सत्ता पक्ष में कोई ‘अनहोनी’ हो गई तो भरपाई के लिए राजद के असंतुष्ट विधायकों का सहारा चाहिए. ऐसे में राजद के कुछ विधायक अनुपस्थित रहकर सत्ता पक्ष को मदद पहुंचा सकते हैं.

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