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सीटों के बंटवारे को लेकर आपस में उलझेंगे विपक्षी दल.

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सिटी पोस्ट लाइव : लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अब बिहार में तेज होने लगी है. सत्ताधारी गठबंधन एनडीए (एनडीए) और विपक्षी दलों के गंठजोड़ आई.एन.डी.आई.ए. के नेता चुनाव तैयारी में जुट गये हैं. बिहार में जेडीयू और आरजेडी ने अलग-अलग बैठकें शुरू कर दी हैं. कांग्रेस और वाम दल भी तैयारी में जुट गए हैं. वामपंथी दलों में बिहार में सर्वाधिक मजबूत सीपीआई (एमएल) ने  तो कांग्रेस की तरह ही सीटों की दावेदारी भी पेश कर दी है.उसने कांग्रेस के बराबर सीटें मांगकर मुश्किल बढ़ा दी है.

बिहार एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान का अधिक खतरा नहीं है.बीजेपी के पास सीट बंटवारे के दो फार्मूले पहले से ही मौजूद हैं. बीजेपी की पहली कोशिश है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह सीटों का बंटवारा हो. तब बीजेपी के साथ जेडीयू नहीं था. बीजेपी ने 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 22 पर जीत दर्ज की थी. इस बार भी नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है. इसलिए 2014 की तरह बीजेपी अपने लिए 30 सीटें रखना चाहती है.बीजेपी सिट बटवारा अपने सहयोगी दलों के साथ फाइनल कर चुकी है.

एनडीए के घटक दलों में रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी के दोनों धड़ों को बीजेपी पिछली बार जितनी ही यानी 6 सीटें इस बार भी देगी. उपेंद्र कुशवाहा के आरएलजेडी को पूर्व की भांति तीन सीटें मिलेंगी. जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ को एक सीट मिलने की संभावना है. वीआईपी के मुकेश सहनी पर भी भाजपा की नजर है. उनके लिए भी मांझी की तरह एक सीट बीजेपी अपने कोटे से दे सकती है. मुकेश सहनी को विधानसभा चुनाव में लोकसभा की भरपाई के वादे पर भाजपा मुकेश सहनी को मनाने की कोशिश करेगी. बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होना है.

दूसरी तरफ विपक्षी एकता प्रयासों की कवायद के बीच  खटपट की आहट  सुनाई दे रही है. विपक्षी गठबंधन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती रही टीएमसी नेता और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के तेवर नरम नहीं पड़ रहे. आम आदमी पार्टी ने इसी साल होने जा रहे छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों की सूची भी जारी करनी शुरू कर दी है. आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस की प्रदेश इकाइयां भी सहमत नहीं हैं.बिहार में भी सीटों का बटवारा आसान नहीं है.वाम दल और कांग्रेस की तरफ से 13 सीटों की मांग की जा रही है.JDU अपनी सिटिंग सीट छोड़ने को तैयार नहीं है और RJD भी JDU से कम सीटों पर तैयार नहीं है.

बीजेपी को उम्मीद है कि अगर ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार फिर साथ आ सकते हैं. तब उन्हें भी सीटें देनी पड़ेंगी. यही वजह है कि नीतीश के कोटे की सीटें बीजेपी बचा कर रखना चाहती है. अगर सीट बंटवारे के सवाल पर विपक्षी गठबंधन बिखरता है और नीतीश के साथ आने की संभावना बनती है तो 30 सीटों में ही बीजेपी नीतीश कुमार को भी एडजस्ट कर लेगी.दिल्ली में पीएम मोदी और नीतीश कुमार के बीच जो केमिस्ट्री दिखी है, उससे साफ़ है कि अपने दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर देने का दावा करनेवाली बीजेपी नीतीश कुमार की बेसब्री से इंतज़ार कर रही है.

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