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महिला आरक्षण पर बदल गए नीतीश- राबड़ी के सुर.

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सिटी पोस्ट लाइव : संसद में पेश महिला आरक्षण बिल (महिला शक्ति वंदन अधिनियम) पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सुर अलग-अलग हैं.नीतीश ने जहां इसका स्वागत किया, वहीं राबड़ी देवी ने इसे धोखा बताया है. आरक्षण में आरक्षण की मांग भी दोनों ने अलग ढंग से की है.नीतीश कुमार ने कहा कि महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रविधान किया जाना चाहिए.राबड़ी देवी ने भी इन वर्गों की महिलाओं के लिए अलग आरक्षण की मांग की है, लेकिन उन्होंने इसमें अति पिछड़ों को नहीं जोड़ा है.

 

बिहार की राजनीति में अति पिछड़ों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोर वोट माना जाता है. नीतीश ने कहा कि जगनणना और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद ही इस आरक्षण का लाभ मिलेगा. उन्होंने लगे हाथ जाति आधारित गणना की भी मांग कर दी है.उन्होंने कहा है कि जाति आधारित गणना से ही महिलाओं को पूरा लाभ मिलेगा. अगर जाति आधारित गणना हुई रहती तो महिलाओं के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था तुरंत लागू हो सकती थी.राबड़ी ने कहा कि महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित होनी चाहिए. यह नहीं भूलना चाहिए कि महिलाओं की भी जाति होती है.

 

उन्होंने कहा कि इस बिल के बहाने नरेंद्र मोदी लोक सभा चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं. लेकिन, इस आरक्षण के भीतर पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं करके मोदी सरकार ने अपना पिछड़ा विरोधी चरित्र ही उजागर किया है.तिवारी ने कहा कि राजद ने कभी महिला आरक्षण का विरोध नहीं किया है. हम हमेशा सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का समर्थक रहे हैं. हम सिर्फ़ महिलाओं के आरक्षण के भीतर पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण चाहते हैं. इससे पहले भी जब महिलाओं के आरक्षण का मामला आया है, राजद ने इसी संशोधन के साथ उसके समर्थन का एलान किया है.

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