सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में महागठबंधन की सरकार में 7 राजनीतिक दल शामिल हैं. लेकिन, सभी दल अलग अलग राग अलाप रहे हैं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बने हुए हैं. जीतन राम मांझी की मांग पूरा करना नीतीश कुमार के वश की बात नहीं है.जाहिर है उनके महागठबंधन से भाग जाने की संभावना बनी हुई है. जीतन राम मांझी लगातार यह कहते रहे हैं कि महागठबंधन में कोई कोआर्डिनेशन नहीं है. बड़े दल आपस में मिलकर फैसला कर लेते हैं.
जीतन राम मांझी ने महागठबंधन के सामने एक बड़ी मांग यह रख दी कि उन्हें लोकसभा चुनाव 2024 में 5 सीट चहिए. अब ऐसे में महागठबंधन के बड़े दलों के सामने एक बड़ा सवाल यह खड़ा होगा कि जदयू, राजद और कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसके बाद लेफ्ट पार्टियों का भी अलग डिमांड होगा, ऐसे में अभी से ही जीतन राम मांझी ने महागठबंधन के सामने बड़ा धर्म संकट खड़ा कर दिया है.
बिहार सरकार में शामिल लेफ्ट पार्टियां सरकार में शामिल नहीं है. 7 दलों में से तीन दल लेफ्ट से हैं. इसमें सीपीआई, सीपीएमएल और माले शामिल है. वाम दल कई मसलों पर सरकार के साथ खड़ी नहीं रहती है. सवाल उठाते-उठाते कभी-कभी विधानसभा में भी लेफ्ट पार्टियां विरोध करने लगती है.पिछले दिनों ही शिक्षक बहाली के लिए जो विज्ञापन निकाला गया था. उसके विरोध में भी सभी लेफ्ट पार्टियों ने अपना एक सुर मिलाया था. ऐसे हालत में बिहार सरकार वामदल के सामने बेबस हो जाती है.
2019 मे जेडीयू भाजपा के साथ चुनाव लड़ी थी. 17 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जदयू को 16 सीटों पर जीत मिली थी. ज्यादातर सीटों पर जदयू ने राजद को हराया था. ऐसे में दोनों दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसने वाला है. दूसरी ओर वामदल और जीतन राम मांझी की पार्टी भी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते है. दूसरी तरफ कांग्रेस 2024 में बड़े फिगर में चुनाव लड़ना चाहती है. बिहार में 40 सीटों में कम से कम 15 से 20 सीटों पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है.जाहिर है बिहार के सात राजनीतिक दलों में सीट बंटवारे को लेकर बड़ा पेंच फंस सकता है.
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