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नीतीश को थी आपत्ति… विपक्ष के ‘INDIA’ की इनसाइड स्टोरी.

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सिटी पोस्ट लाइव : बेगलुरु में विपक्षी एकता की दूसरी बैठक तो हो गई.लेकिन इसमे कोई बड़ा फैसला नहीं हो पाया. केवल गठबंधन के नाम पर मुहर लगी.हालांकि ज्यादातर दल इस नाम को लेकर खुश नहीं हैं. दोपहर बाद जब विपक्षी मोर्चे का नाम INDIA करने की खबरें आने लगीं तो पहले कहा गया कि इंडियन नेशनल डेमोक्रैटिक इन्क्लूसिव अलायंस होगा लेकिन कुछ देर बाद D का मतलब कुछ और सामने आया. औपचारिक घोषणा में पता चला कि ‘इंडिया’ का फुल फार्म ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलांयस’ होगा. हालांकि इस नाम पर सभी सहमत नहीं थे.

 

गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. रखने का प्रस्ताव कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रखा. उन्होंने पहले इस पर ममता बनर्जी की सहमति मांगी. ममता को यह पसंद आया. आखिरकार सहमति बनी लेकिन आपत्ति किसे थी, यह जानना दिलचस्प है. यह भी कि डी का फुल फॉर्म क्यों बदला गया.INDIA नाम रखने के पीछे कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की जुगलबंदी सामने आई.  बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने सवाल उठाते हुए कहा कि राजनीतिक गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. कैसे रखा जा सकता है?

 

पटना में 23 जून को हुई विपक्ष की बैठक में 16 पार्टियां शामिल हुई थीं. बेंगलुरु बैठक में यह संख्या बढ़कर 26 पहुंच गई. सूत्रों ने बताया है कि अलायंस के लिए नया नाम राहुल ने सुझाया था लेकिन वह चाहते थे कि कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल इस पर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राय पहले ले लें. वह झट से राजी हो गईं, बस N को नेशनल की जगह ‘न्यू’ करने की सलाह दी.इसके बाद D के फुल फॉर्म को लेकर अनौपचारिक चर्चा शुरू हुई. डी का नाम डेमोक्रैटिक रखा जाए या डेवलपमेंटल? सूत्रों ने बताया कि सोमवार रात डिनर के बाद ही कुछ नेता नाम पर चर्चा करने के लिए साथ बैठे थे. आधी रात तक चर्चा चलती रही. इसी दौरान यह भी बताया गया कि मंगलवार बैठक में ममता इस नाम का प्रस्ताव रखें.


स्क्रिप्ट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के संबोधन के बाद TMC चीफ ने ही नाम का प्रस्ताव रखा. सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार ने इस पर सवाल उठाया. लेफ्ट के नेता भी चकित रह गए. सीतीराम येचुरी, डी. राजा और जी. देवराजन भी इस नाम से संतुष्ट नहीं लगे और बैठक के बीच में मंत्रणा शुरू हो गई.येचुरी ने V (Victory) for India या We for India का सुझाव दिया लेकिन कई नेताओं ने कहा कि यह सुनने में कैंपेन स्लोगन लगता है. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गठबंधन को नाम देने से ज्यादा महत्वपूर्ण सीट शेयरिंग पर फैसला है. येचुरी ने भी कहा कि हां, सीट शेयरिंग ज्यादा जरूरी है. उन्होंने केरल और बंगाल का उदाहरण देते हुए पूछा कि कांग्रेस कैसे आगे बढ़ेगी क्योंकि इन राज्यों में लेफ्ट और कांग्रेस पारंपरिक विरोधी हैं.

 

टीएमसी और कांग्रेस दोनों गठबंधन का नाम चाहते थे. राहुल ने आखिर में बोलते हुए इंडिया नाम का समर्थन किया और इसका मतलब भी समझाया. चर्चा के दौरान पीपुल्स अलायंस फॉर इंडिया और प्रोग्रेसिव पीपुल्स अलायंस का नाम भी आया था। पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने ‘भारत जोड़ो अलायंस’ नाम सुझाया था. शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सुझाव रखा कि नाम में हिंदी टैगलाइन होनी चाहिए. ममता और कांग्रेस की जुगलबंदी देखकर लेफ्ट के नेता थोड़ा असहज दिखे.खरगे और राहुल दोनों ने कहा कि कांग्रेस को प्रधानमंत्री पद का लालच नहीं है. राहुल ने कहा कि पार्टी दूसरे दलों को भी गठबंधन में शामिल करने के लिए तैयार है. यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि वह एक श्रोता के तौर पर शामिल हुई हैं और वह सबको सपोर्ट करेंगी.

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