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मांझी बता रहे नीतीश कुमार की 5 खामियां,,,,,,,

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सिटी पोस्ट लाइव : पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लेकर अभी भी महागठबंधन आश्वस्त नहीं है.बीजेपी भी नाउम्मीद नहीं है. जीतन राम मांझी भले नीतीश कुमार का साथ कभी नहीं छोड़ने की कसम खाने की बात करें  लेकिन उन्हें नीतीश कुमार से कई शिकायतें आज भी हैं. नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री तो बनाया लेकिन रबर स्टाम्प की तरह उनका इस्तेमाल करना चाहा.उन्हें काम करने की स्वतंत्रता नहीं दी.जब अपने मन से काम करना चाहतो तो कुर्सी से हटा दिया.इस बात का आज भी उन्हें मलाल है.

 

जीतन राम मांझी को ये भी शिकायत है कि नीतीश कुमार ने उनके बेटे से एक मंत्रालय छीन लिया.उस विभाग को छीन लिया जो उनके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण था.वो बारबार इसको लेकर अपनी नाराजगी का इजहार करते रहते हैं.मांझी को ये भी बात खटकती है कि तेजस्वी यादव से ज्यादा पढ़े लिखे उनके बेटे संतोष मांझी को सीएम बनाने पर नीतीश कुमार ने विचार नहीं किया.वो कहते हैं कि उनका बेटा किसी से कम नहीं.पढ़ा लिखा है.प्रोफ़ेसर है और मुख्यमंत्री बनने के काबिल है.   मांझी का ये भी कहना है कि नीतीश कुमार उनकी पार्टी का JDU में विलय चाहते हैं.इसको लेकर वो कईबार खबर भी भेजवा चुके हैं.लेकिन मांझी का कहना है कि इसके लिए उनकी पार्टी के कार्यकर्त्ता तैयार नहीं हैं.  वो कहते हैं-हम इंडिपेंडेंट पार्टी के रूप में पहचान रखते हैं, जैसे बसपा, लोजपा है, उसी तरह अलग पहचान बनाकर रखे हुए हैं, महादलितों, गरीबों की एक पार्टी है, सिंबल है. उसे मर्ज नहीं किया जा सकता.

 

शराबबंदी को लेकर भी मांझी सवाल उठाते रहते हैं.वो कहते हैं  शराब खराब है, लेकिन शराबबंदी के नाम पर जो हो रहा है वह गरीबों के पक्ष में नहीं है. आज बड़े-बड़े तस्कर पैसे के बल पर छूट जा रहे हैं. करोड़ों रुपए का इनवॉलमेंट है शराब में.जो गरीब तबके के लोग हैं उनके मुंह में एनलाइजर लगाकर चेक किया जाता है. वो कहते है – बड़े-बड़े ठेकेदार, एमएलए, अफसर, एमएलए, मिनिस्टर शराब पीते हैं.वे समय सीमा के अंदर शराब पीते हैं, लेकिन सामाजिक परिप्रेक्ष्य में उन्हें कोई नहीं कह पाता कि वे शराब पीते हैं.

 

मांझी को इस बात की भी शिकायत है कि नीतीश कुमार से मिलना आसान नहीं है.मंत्री-विधयाकों से ज्यादा वो अधिकारियों की सुनते हैं. नीतीश कुमार सार्वजनिक रूप से सभी की राय लेकर वे नहीं चलते हैं. कुछ लिमिटेड लोगों से वे बात करते हैं. खास कर कुछ पदाधिकारियों पर उनका विशेष विश्वास होता है. मेरी समझ से यह उचित नहीं है. एमएलए या अन्य जनप्रतिनिधि से फ्रीक्वेंटली मिलना चाहिए, बात करनी चाहिए.ऐसे लोगों को नीतीश कुमार से मिलने में दिक्कत होती है. हमने जगन्नाथ मिश्रा, लालू प्रसाद, बिंदेश्वरी दुबे, चंद्रशेखर बाबू को देखा. जितनी दिक्कत नीतीश कुमार से मिलने में होती है. उन सबों से मिलने में दिक्कत नहीं होती थी. यही कारण है कि बहुत सी वास्तविक बातें नीतीश कुमार के नॉलेज में नहीं आ पाती और महागठबंधन को घाटा होता है.

 

जीतन राम मांझी की यही नाराजगी और नीतीश कुमार की खामियां जीतन राम मांझी के महागठबंधन छोड़ने की वजह बन सकती हैं.जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने के लिए इतनी बातें काफी हैं.यहीं वजह है कि उनके बीजेपी के साथ जाने की अटकलें लगाईं जा रही हैं.लेकिन मांझी ऐसी संभावना को  फिरहाल ख़ारिज कर रहे हैं.

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