सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी का इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर ,धारा 370 और मोदी की गारंटी है.इसबार मोदी ने 400 सीटें जितने का टारगेट रखा है.लेकिन पिछले लोक सभा चुनाव के नतीजों पर गौर फरमाने पर ये टारगेट अचीव करना मुश्किल लग रहा है.पिछले चुनाव में बीजेपी को 303 सीटों पर सफलता मिली थी.लेकिन इनमे से 50 से ज्यादा ऐसी सीटें थीं, जहाँ जीत का मार्जिन महज 50 हजार था. 77 सीटें ऐसी हैं जहाँ जीत का मार्जिन एक लाख से कम था.इनमे से 30 सीटें ऐसी थीं जहाँ बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से था.इसबार ईन सभी सीटों को जीत लेना आसान नहीं होगा.
अगर बीजेपी इसबार ईन 122 सीटों में से 50 सीटों पर भी हार जाती है तो सीटों का आंकड़ा 250 के आसपास रुक सकता है.यह बहुमत के आंकड़े से कम हो जाएगा.गौरतलब है 543 सदस्यीय लोक सभा में बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा चाहिए.अगर सहयोगी दलों को मिलाकर बहुमत मिल भी जाता है तो मोदी अपनी मर्जी से सरकार नहीं चला पायेगें.मज़बूरी में बीजेपी के साथ चुनाव में आनेवाले नीतीश कुमार जैसे नेता मुश्किल खड़ा कर सकते हैं.
इसबार ईन सीटों को जीतने के लिए बीजेपी छोटे छोटे दलों को अपने साथ ला रही है.क्षेत्रीय दलों के दमदार नेताओं को अपना उम्मीदवार बना रही है. बीजेपी ने कई मौजूदा सांसदों का टिकेट काट दिया है और दुसरे दलों से आये नेताओं को उम्मीदवार बना दिया है.बीजेपी दक्षिण भारत में ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है लेकिन वहां का समीकरण उसके अनुकूल दिखाई नहीं देता.दक्षिण भारत में लोक सभा की 42 सीटें हैं, जहाँ संभावना तो दिखाई देती है लेकिन ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती.आंकड़े गवाह हैं कि आन्ध्र प्रदेश और तेलांगना में बीजेपी का खराब प्रदर्शन रहा है.आन्ध्र प्रदेश में वह गठबंधन के सहारे हैं और तेलांगना में उसके सामने अपनी जीती हुई 4 सीटें बचाने की चुनौती है.
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