30 अप्रैल को NDA में शामिल हो सकते हैं कुशवाहा.
राजगीर में राजनीति शिविर के अंतिम दिन करेंगे ऐलान, पार्टी नेताओं से कर रहे हैं चुनाव पर मंथन .
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के सबसे बड़े कुशवाहा नेता उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLJD किसी भी वक्त एनडीए के साथ लोक सभा चुनाव लड़ने का एलान कर सकती है.राजगीर में 28 से 30 अप्रैल तक पार्टी का तीन दिवसीय राजनीतिक शिविर चल रहा है. शिविर के पहले दिन उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा. शिविर के अंतिम दिन कुशवाहा NDA में शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं. सूत्रों के अनुसार उसके बाद राष्ट्रीय लोक जनता दल आधिकारिक रूप से NDA के लिए चुनाव प्रचार शुरू कर देगा.
शिविर समारोह में उन्होंने बताया कि किस मजबूरी में वह नीतीश कुमार के करीब गए थे और किस मजबूरी में उन्होंने नीतीश कुमार का साथ छोड़ा. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं बीच-बीच में राह बदलता रहता हूं, लेकिन, मैं कुर्सी के लिए कभी भी राह नहीं बदलता.उन्होंने कहा कि मैंने जब भी राह बदली है तो संघर्ष और राजनीतिक उसूलों के लिए, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्सी के लिए हर बार राह बदल कर समझौता कर लेते हैं. मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए कुशवाहा ने यह भी कहा कि जिस पार्टी के खिलाफ उन्होंने आजीवन संघर्ष किया, अंत में उसे उन्होंने जीवनदान दिया और उसे जीवित कर दिया.
उपेंद्र कुशवाहा इससे पहले भी NDA को लेकर अपना सॉफ्ट कॉर्नर दिखा चुके हैं. पिछले हफ्ते अमित शाह से मुलाकात के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि गृहमंत्री के साथ बातचीत काफी अच्छे माहौल में हुई है. NDA में शामिल होने के सवाल पर कहा कि आप लोग अटकलें लगाते रहें. NDA में शामिल होने को लेकर अटकलें लगा रहे हैं लेकिन, पार्टी के अंदर कोई फैसला नहीं लिया गया है.सूत्रों के अनुसार पार्टी के शिविर में एनडीए के साथ जाने का फैसला लेने के पहले उपेन्द्र कुशवाहा अमित शाह से डील फाइनल कर चुके हैं.
तीन दिवसीय राजनीतिक शिविर में मुख्य रूप से पार्टी की ओर से बिहार में भविष्य की कार्ययोजना के प्रमुख बिन्दु शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार और पलायन के मसले पर परिचर्चा हो रही है. राष्ट्रीय लोक जनता दल तीन दिवसीय राजनीतिक शिविर में पर्यटन, महिला सशक्तिकरण, महिला आरक्षण, युवा शक्ति, भूमिहीनों को आवास के लिए जमीन, शराबबंदी नीति की समीक्षा, छात्रों की छात्रवृति, अनुसूचित जाति व जनजाति की सामाजिक आर्थिक स्थिति, अति पिछड़ा समाज की भूमिका, जाति गणना और सामाजिक न्याय तथा गरीबों का न्याय पर खुली परिचर्चा हो रही है.
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