सिटी पोस्ट लाइव : अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी छीने जाने की घटना को आज भी जीतन राम मांझी भूले नहीं हैं.मांझी ने एकबार फिर से अपनी पीड़ा का इजहार किया है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है. पूर्व सीएम ने कहा कि मार्केट रेट से गरीबों को जमीन दिलाने के लिए कहा था. 30 जून 2015 तक भूदान की जमीन बांटने के लिए कहा था. वह भी नहीं होने दिया. गरीब आज कब्जे के लिए तरस रहे हैं. नीतीश ने हमें नाजायज ढंग से सीएम पद से हटाया था.
मांझी ने कहा कि हमने सीएम रहते ठेका के नियमों में बदलाव किया. 75 लाख तक के ठेका में आरक्षण दिया. ठेका लाइसेंस बनवाने में गरीबों की सहभागिता बढ़वाई. आज हजारों गरीब ठेकेदार बने हुए हैं. ठेकेदारी में आरक्षण को सीएम ने आज तक रोक रखा है. आरक्षण बंद करवा रखा है.उन्होंने कहा कि अभी वर्तमान में कुछ मंत्री सीएम नीतीश के नाक के बाल बने हुए हैं और भी बहुत कुछ बने हुए हैं. ज्यादा नहीं बोलेंगे डर लगता है. हमने 34 निर्णय लिया था लेकिन नीतीश कुमार ने उसे लागू नहीं होने दिया.जबरन सीएम की कुर्सी से हटा दिया.
पूर्व सीएम मांझी ने कहा कि मोदी जी ने मुझे काफी सम्मान दिया है. देश के लिए बेहतर काम कर रहे हैं. 508 स्टेशन के लिए करोड़ों रुपया दिया है. पीएम का रुतबा बहुत है. इन्हें सभी लोग यहां तक की राष्ट्राध्यक्ष ने पैर छूकर प्रणाम किया. यह सम्मान दिया. आर्थिक रूप से देश 5वां राष्ट्र बना है. पीएम गरीब के बारे में सोचते हैं. नीतीश को सत्ता चाहिए. 4200 करोड़ से गंगाजल. पीने को पानी नहीं और तर्पण पर इतना खर्च. विधवा को 1 हजार मिले.
पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने प्रदेश की दारूनीति (शराबबंदी) पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि गरीब दवा के रूप में दारू पिएं तो कोई हर्ज नहीं. रात में आब, सुबह में उठकर फ्रेश होकर काम करिह. आज सभी बड़े लोग 10 बजे के बाद दारू पी रहे हैं. मोग-मर्द दोनों पी रहे, उन्हें नीतीश नहीं जेल भेजते.गरीब 500 कमाएगा त दारू के 2 हजार जुर्माना कहां से भरेगा? दारूनीति ठीक, लेकिन गरीबों के साथ अन्याय ठीक नहीं. वैसे दारू नहीं पीना चाहिए. यह अच्छी चीज नहीं है. मेरे घर में भी महुआ दारू चूता था.दारू में मिलावट से गरीब मर रहे हैं. गरीब ही मर रहे. मजदूर मरते हैं, अमीर तो महंगा दारू पी रहे. ताड़ी प्राकृतिक रस है. इस पर बंदिश ठीक नहीं. पासी समाज को जेल भेजा जा रहा है. सहरसा में चूहा ने दारू नहीं पिया था, थाने से दारू बिकता था.
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